सर सैय्यद अहमद खां पहले मुस्लिम समाज सुधारक थे। उन्होंने 19वीं शताब्दी में इस्लामी समाज तथा इस्लाम धर्म में सुधार के लिए अलीगढ़ आन्दोलन चलाया।
महत्त्वपूर्ण कार्य-
- उन्होंने भारतीय मुसलमानों में प्रचलित अन्ध-विश्वासों तथा झूठे रीति-रिवाजों को समाप्त करने के लिए इस्लाम धर्म के सिद्धान्तों की व्याख्या की।
- उनका विचार था कि मुसलमानों में जागृति लाने के लिए पश्चिमी शिक्षा का विकास करना आवश्यक है। इसलिए उन्होंने मुसलमानों को पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने तथा पश्चिमी साहित्य का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया।
- 1875 ई० में उन्होंने अलीगढ़ में मोहम्मडन ऐंग्लो ओरियंटल कॉलेज की स्थापना की। यहां मुस्लिम विद्यार्थियों को पश्चिमी शिक्षा दी जाती थी। बाद में यह कॉलेज अलीगढ़ आन्दोलन की गतिविधियों का केन्द्र बन गया। 1920 : में इस कॉलेज ने अलीगढ़ विश्वविद्यालय का रूप धारण कर लिया।
- सर सैय्यद अहमद खां मुसलमानों के हित के लिए उन्हें अंग्रेज़ी सरकार के निकट लाना चाहते थे ताकि सरकार की सहायता से मुसलमानों के हितों की रक्षा की जा सके। इस काम में मोहम्मडन ऐंग्लो ओरियंटल कॉलेज के पहले प्रिंसीपल मि० बेक ने उनकी बहुत सहायता की।
1878 ई० में सर सैय्यद अहमद खां को लोक सेवा आयोग का सदस्य बना दिया गया। 1882 ई० में उन्हें वायसराय की परिषद् का सदस्य नियुक्त किया गया। 1898 में उन्हें ‘सर’ की उपाधि प्रदान की गई। इसी वर्ष उनका देहान्त हो सर सैय्यद अहमद खां गया।
अलीगढ़ आन्दोलन-अलीगढ़ आन्दोलन सर सैय्यद अहमद खां द्वारा मुसलमानों में जागृति लाने के लिए चलाया गया था। इसे अलीगढ़ आन्दोलन इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसका केन्द्र अलीगढ़ था। इस आन्दोलन के नेताओं ने मुसलमानों को कुरान के सिद्धान्त अपनाने तथा झूठे रीति-रिवाज छोड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने मुसलमानों द्वारा पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने पर भी बल दिया।