असहयोग आन्दोलन गान्धी जी ने 1920 ई० में अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध चलाया। अंग्रेज़ी सरकार को कोई सहयोग न दिया जाए-यह इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य था। इस आन्दोलन की घोषणा कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में की गई। गान्धी जी ने जनता से अपील की कि वे किसी भी तरह सरकार को सहयोग न दें। एक निश्चित कार्यक्रम भी तैयार किया गया। इसके अनुसार लोगों ने सरकारी नौकरियां तथा उपाधियां त्याग दीं। महात्मा गान्धी ने अपनी केसरए-हिंद की उपाधि सरकार को लौटा दी। विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों में जाना बन्द कर दिया। वकीलों ने वकालत छोड़ दी। विदेशी वस्तुओं का भी त्याग कर दिया गया और लोग स्वदेशी माल का प्रयोग करने लगे। परन्तु चौरी-चौरा नामक स्थान पर कुछ लोगों ने एक पुलिस थाने में आग लगा दी जिससे कई पुलिस वाले मारे गए। हिंसा का यह समाचार मिलते ही गान्धी जी ने इस आन्दोलन को स्थगित कर दिया।