प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद अंग्रेज़ों ने भारतीयों के साथ किये अपने वचनों को पूरा नहीं किया। अत: भारतीयों ने महात्मा गान्धी के नेतृत्व में अंग्रेजी शासन से मुक्ति पाने के लिए योजना बनाई। महात्मा गान्धी ने निम्नलिखित सिद्धान्तों के आधार पर स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए प्रयत्न किये-
- अहिंसा- महात्मा गान्धी ने अंग्रेज़ों का मन जीतने के लिए शान्ति एवं अहिंसा की नीति अपनाई। वैसे भी गान्धी जी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे।
- सत्याग्रह आन्दोलन- महात्मा गान्धी सत्याग्रह आन्दोलन में विश्वास रखते थे। इसके अनुसार वह अपनी बात मनवाने के लिए धरना देते थे या कुछ दिनों तक उपवास रखते थे। कभी-कभी वह आमरणव्रत भी रखते थे। ऐसा करने से सारे संसार का ध्यान उनकी ओर जाता था।
- हिन्दू-मुस्लिम एकता- महात्मा गान्धी ने सभी भारतीयों विशेष रूप से हिन्दुओं तथा मुसलमानों की एकता पर बल दिया। जब कभी किसी कारण से लोगों में दंगे-फसाद हो जाते थे तो गांधी जी वहां पहुंच कर शान्ति स्थापित करने का प्रयास करते थे।
- असहयोग आन्दोलन- महात्मा गान्धी ने अंग्रेजों द्वारा भारतीय लोगों के साथ किये जा रहे अन्यायं का विरोध करने के लिए असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया। इसके अनुसार गान्धी जी ने भारतीय लोगों को सरकारी कार्यालयों, न्यायालयों, स्कूलों तथा कॉलेजों आदि का बहिष्कार करने को कहा।
- खादी एवं चरखा- गान्धी जी ने ग्रामीण लोगों को खादी के वस्त्र पहनने तथा चरखे से सूत कात कर कपड़ा तैयार करने के लिए कहा। उन्होंने प्रचार किया कि विदेशी वस्तुओं का उपयोग छोड़ कर स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग किया जाए।
- समाज सुधार- महात्मा गान्धी ने समाज में प्रचलित बुराइयों जैसे कि अस्पृश्यता को समाप्त करने का प्रयास किया। उन्होंने महिलाओं के कल्याण के लिए भी प्रयत्न किये।