कलिंग के युद्ध के पश्चात् अशोक ने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया। परन्तु जो धर्म उसने जनता के सामने रखा, वह बौद्ध धर्म नहीं था। उसने सभी धर्मों की अच्छी बातें अपने धर्म में शामिल की।
उसके धर्म की शिक्षाएं इस प्रकार थीं –
- बड़ों का आदर करो तथा छोटों से प्रेम करो।
- गुरुओं का आदर करो।
- पापों से दूर रहो तथा पवित्र जीवन व्यतीत करो।
- हमेशा सत्य बोलो। अन्त में सत्य की ही जीत होती है।
- अहिंसा में विश्वास रखो तथा किसी जीव की हत्या न करो।
- अपने सामर्थ्य के अनुसार साधुओं, विद्वानों तथा ग़रीबों को दान दो।
- अपने धर्म का पालन करो, लेकिन किसी दूसरे धर्म की निन्दा न करो।
अशोक द्वारा बौद्ध धर्म का प्रचार-अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए निम्नलिखित कार्य किए –
- उसने बौद्ध धर्म के नियमों को पत्थर के स्तम्भों तथा शिलाओं पर खुदवाया। ये नियम आम बोलचाल की भाषा में खुदवाए गए ताकि साधारण लोग भी इन्हें पढ़ सकें।
- उसने अनेक स्तूप तथा विहार बनवाए, जो बौद्ध धर्म के प्रचार का केन्द्र बने।
- उसने बौद्ध भिक्षुओं को आर्थिक सहायता दी।
- उसने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए विदेशों में प्रचारक भेजे।