चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य समुद्रगुप्त का पुत्र था। उसे चन्द्रगुप्त द्वितीय भी कहा जाता है। वह गुप्त वंश का एक प्रतापी राजा था। उसने लगभग 380 ई० से 412 ई० तक राज्य किया।
- उसने पश्चिमी भारत के शकों को हराया। उसने अपनी सैनिक शक्ति द्वारा अपने साम्राज्य को अरब सागर तक बढ़ाया तथा सौराष्ट्र और काठियावाड़ को जीता।
- उसने दिल्ली में कुतुबमीनार के समीप लोहे का विशाल स्तम्भ बनवाया, जिस पर लिखे लेख में उसकी सफलताओं का वर्णन है।
- उसने कला तथा साहित्य को प्रोत्साहन दिया। उसके दरबार में नौ विद्वान् थे जिन्हें ‘नवरत्न’ कहा जाता था।
- वह धार्मिक दृष्टि से बहुत सहनशील था। वह स्वयं भगवान् विष्णु का भक्त था लेकिन वह सभी धर्मों का सम्मान करता था।
- उसने बड़ी मात्रा में सोने, चांदी तथा तांबे के सिक्के चलाए।
- उसके शासन काल में ही चीनी यात्री फाह्यान भारत आया था।
- चन्द्रगुप्त द्वितीय ने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी, जिसका अर्थ है ‘वीरता का सूर्य’।