गुप्तकाल में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में बहुत उन्नति हुई थी, जिस कारण इसे भारत का ‘स्वर्ण युग’ कहा जाता है।
- गुप्त साम्राज्य का शासन प्रबन्ध बहुत उत्तम था। राजा मन्त्रियों तथा अधिकारियों की सहायता से शासन चलाता था।
- लोग समृद्ध, सुखी तथा ईमानदार थे। कर बहुत कम थे। दैनिक प्रयोग की चीजें बहुत सस्ती थीं। इस काल में सोने के सिक्के बड़ी मात्रा में चलाए गए।
- कृषि तथा व्यापार का बहुत विकास हुआ था।
- गुप्तकाल में उच्चकोटि के साहित्य तथा कला की रचना हुई। साहित्यकारों तथा कलाकारों को राजाओं का संरक्षण प्राप्त था।
- सभी धर्मों का सम्मान किया जाता था। चाहे गुप्त राजा स्वयं हिन्दू धर्म को मानते थे लेकिन वे सभी धर्मों के लोगों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करते थे।सभी लोगों को पूर्ण धार्मिक स्वतन्त्रता प्राप्त थी।
- गुप्तकाल में विज्ञान तथा तकनीकी का बहुत विकास हुआ था। आर्यभट्ट, वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त तथा बाणभट्ट इस काल के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे।
- शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत विकास हुआ था। ब्राह्मण तथा भिक्षु अध्यापक होते थे जो आमतौर पर मन्दिरों तथा मठों में शिक्षा देते थे। तक्षशिला, सारनाथ तथा नालन्दा गुप्तकाल के विश्वविद्यालय थे।
- गुप्तकाल में भारतीय संस्कृति तथा सभ्यता का विदेशों में प्रचार किया गया।