हर्षकाल में लोग शांतिमय तथा सादा जीवन व्यतीत करते थे। वे मुख्य रूप से शाकाहारी थे तथा दूध, घी, चावल, फलों तथा सब्जियों का प्रयोग करते थे। अमीरों के मकान सुन्दर बने होते थे जबकि ग़रीबों के मकान साधारण तथा कच्चे फर्श के होते थे। समाज में जाति प्रथा कठोर थी। आमतौर पर लोगों का जीवन सुखी तथा समृद्ध था। सभी धर्मों के लोग परस्पर मिलजुल कर प्रेम से रहते थे तथा एक-दूसरे का सम्मान करते थे। नालंदा उस समय का प्रसिद्ध विश्वविद्यालय था और ज्ञान प्राप्ति का एक महान् केंद्र था।