1. प्रत्येक भोजन करने के बाद दाँतों को अच्छी प्रकार साफ़ करना चाहिए। कुल्ली करके दाँतों में फंसे भोजन कण निकाल देने चाहिएं।
2. हर सुबह व रात्रि को सोने से पूर्व दाँतों को उँगली या दन्त ब्रुश से मन्जन या पेस्ट की सहायता से साफ़ करना चाहिए। ऐसा करने से दाँतों को रोगमुक्त रखा जा सकता है। दन्त ब्रुश बहुत बड़े बालों का नहीं होना चाहिए अन्यथा मसूड़ों में घाव होने की सम्भावना रहती है।
3. बचपन से ही दाँतों की सफ़ाई की उचित विधि की शिक्षा देनी चाहिए। दाँतों को सब ओर से, दाँतों के भीतर व बाहर आदि भोजन चबाने वाले ऊपर व नीचे के भागों को नियमपूर्वक साफ़ करना आवश्यक है।
4. दाँतों को तिनकों या सुई से कुरेदना नहीं चाहिए।
5. दन्त चिकित्सक से बच्चों के दाँतों का नियमित निरीक्षण करवाना चाहिए।
6. दाँतों की स्वस्थता के लिए उपयुक्त भोजन की आवश्यकता होती है।
इससे निम्नलिखित लाभ होते हैं –
(i) दाँतों की सुदृढ़ता शरीर के सामान्य स्वास्थ्य पर बहुत निर्भर करती है। शरीर के उचित स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त भोजन आवश्यक होता है। प्रोटीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस तथा विटामिन ‘C’ व ‘D’ दाँतों के निर्माण व स्वास्थ्य में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। भोजन में इन तत्त्वों की कमी दाँतों के स्वास्थ्य को बिगाड़ती है। अतः हमें अपने आहार में इन तत्त्वों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
(ii) कच्चे फल व सब्जियाँ चबा-चबाकर खाने से मसूड़ों को व्यायाम का अवसर मिलता है जिससे वे स्वस्थ बने रहते हैं।
(iii) मिठाइयां, मीठी व चिपकने वाली चॉकलेट, टॉफी, लॉलीपॉप आदि बहुत कम खाना चाहिए। मीठी वस्तुएं खाने के पश्चात् मुँह को कुल्ला करके साफ़ करना अत्यन्त आवश्यक है।
(iv) गरम भोजन के तुरन्त बाद ठण्डा पानी या पेय नहीं लेना चाहिए।