कबीर जी धैर्य को महत्त्व देते हुए मानते हैं कि समय से पहले कभी कुछ नहीं होता। जैसे कोई माली सैंकड़ों पानी से भरे घड़ों से पेड़-पौधों को सींचता रहे लेकिन उन पर फल तो मौसम आने पर ही लगेगा। इसी प्रकार मनुष्य चाहे कितनी भी कोशिश कर ले पर उसके कार्य तो उचित समय आने पर ही होते हैं ; समय से पहले नहीं।