नीरू की माँ उसे काम करने से इसलिए रोकती थी क्योंकि नीरू बहुत कोमल तथा प्यारी थी। उसके हाथ बहुत ही सुंदर थे। घर के काम करने के बारे में वह नीरू को कहती थीं कि – “यह सब काम तेरे करने के नहीं। हम अनपढ औरतें तो जानवर होती हैं और माँ अपने हाथ खोलकर दिखाती। मोटी खुरदरी उंगलियाँ, कटी-फटी चमड़ी और टेढ़े-मेढ़े नाखून।” तेरे हाथ ककड़ी के समान हैं। इनकी पाँच उंगलियों में पाँच अंगूठियाँ डालूँगी न कि तुझ से काम करवाऊँगी।