किसी ने ठीक ही कहा है कि “खाली मन शैतान का घर होता है।” (“An idle brain is a devil’s workshop.”) यह प्रायः देखा भी जाता है कि बेकार आदमी को शरारतें ही सूझती हैं। कई बार तो वह ऐसे गलत काम करने लगता है जो सामाजिक तथा नैतिक दृष्टि से उचित नहीं ठहराये जा सकते। इसका कारण यह है कि उसके पास फालतू समय तो है परन्तु उसके पास इसे व्यतीत करने का ढंग नहीं है। फालतू समय का उचित प्रयोग न होने के कारण उसका दिमाग कुरीतियों में फंस जाता है और कई बार अनेक उलझनों में उलझ कर रह जाता है जिनसे बाहर निकलना उसके वश से बाहर होता है।
यदि व्यक्ति इस फालतू समय का सदुपयोग जानता हो तो वह जीवन में उच्च शिखरों को छू सकता है। संसार के अनेक आविष्कार उन व्यक्तियों ने किये जो फालतू समय को कुशल ढंग से व्यतीत करने की कला से परिचित थे। इस प्रकार संसार के अनेक आविष्कार फालतू समय की ही देन हैं।।
यदि बच्चों के फालतू समय व्यतीत करने के लिए कोई उचित प्रबन्ध न हो तो वे बुरी आदतों का शिकार हो जाएंगे। इस प्रकार वे समाज पर बोझ बनने के साथ-साथ इसके लिए कलंक भी बन जाएंगे। इसलिए उनके फालतू समय के उचित प्रयोग की अच्छी व्यवस्था करनी चाहिए। स्कूलों, कॉलेजों, पंचायतों या नगरपालिकाओं या सरकार को अच्छे खेल के मैदानों तथा खेलों के सामान का पूरा प्रबन्ध करना चाहिए ताकि बच्चे खेलों में भाग लेकर अपने खाली समय का उचित प्रयोग कर सकें। इस प्रकार हम देखते हैं कि फालतू समय के प्रभावशाली उपयोग का सर्वोत्तम साधन खेलें हैं।