डंडी टांका (Stem Stich) - कढ़ाई के नमूने में फूल पत्तियों की डंडियां बनाने के । लिए इस टांके का प्रयोग किया जाता है। यह टांके बाएं से दाएं तिरछे होते हैं तथा एक-दूसरे से मिले हुए लगते हैं। जहां एक टांका समाप्त होता है वहीं से दूसरा शुरू होता है।

भराई का टांका अथवा साटन स्टिच- इस टांके को गोल कढ़ाई भी कहा जाता है। इस द्वारा छोटे-छोटे गोल फूल तथा पत्तियां बनती हैं। आजकल एप्लीक कार्य भी इसी टांके से तैयार किया जाता है। कट वर्क, नैट वर्क भी इसी टांके द्वारा बनाये जाते हैं। छोटेछोटे पंछी आदि भी इसी टांके से बहुत सुन्दर लगते हैं । इसको फैंसी टांका भी कहा जाता है। इसमें अधिक छोटी फुल पत्तियों (जो गोल होती हैं) का प्रयोग होता है। यह टांका भी दाईं तरफ से बाईं ओर लगाया जाता है। रेखा से ऊपर जहां से नमूना शुरू करना है, सूई वहीं लगनी चाहिए। यह टांका देखने में दोनों तरफ एक सा लगता है।

जंजीरी टांका- इस टांके को प्रत्येक जगह प्रयोग कर लिया जाता है। इसको डंडियां, पत्तियां, फूलों तथा पक्षियों आदि सभी में प्रयोग किया जाता है। ऐसे टांके दाईं तरफ से बाईं ओर तथा दाईं तरफ से बाईं ओर लगाये जाते हैं । वस्त्र पर सूई एक बिन्दु से निकालकर सूई पर यह धागा लपेटते हुए दोबारा उसी जगह पर सूई लगाकर आगे की ओर लपेटते हुए यह टांका लगाया जाता है। इस प्रकार क्रम से एक गोलाई में दूसरी गोलाई बनाते हुए आगे की ओर टांका लगाते जाना चाहिए।

लेज़ी डेज़ी टांका- इस टांके का प्रयोग छोटे-छोटे फूल तथा बारीक पत्ती की हल्की कढ़ाई के लिए किया जाता है। ये टांके एक-दूसरे के साथ लगातार गुंथे नहीं रहते बल्कि अलग-अलग रहते हैं। फूल के बीच से धागा निकालकर सूई उसी जगह पहुंचाते हैं। इस प्रकार पत्ती सी बन जाती है। पत्ती को अपनी जगह पर स्थिर करने के लिए दूसरी तरफ गांठ लगा देते हैं।

दसती टांका- यहा टांका उसी वस्त्र पर ही बन सकता है जिसकी बुनाई खुली हो ताकि कढ़ाई करते समय धागे आसानी से गिने जा सकें। यदि तंग बुनाई वाले वस्त्र पर यह कढ़ाई करनी हो तो वस्त्र पर पहले नमूना छाप लो तथा फिर नमूने के ऊपर ही बिना वस्त्र के धागे गिने कढ़ाई करनी चाहिए। यह टांका दो बार बनाया जाता हैं। पहली बार एक एकहरा टांका बनाया जाता है, ताकि टेढ़े (/) टांकों की एक लाइन बन जाये तथा दूसरी बार में इस लाइन के टांकों पर दूसरी लाइन बनाई जाती है। इस तरह दसूती टांका (✕) बन जाता है। सूई को दाएं हाथ के कोने से टांके के निचले सिरे पर निकालते हैं। उसी टांके के ऊपरी बाएं कोने में डालते हैं तथा दूसरे टांके के निचले दाएं कोने से निकालते हैं। इस तरह करते जाओ ताकि पूरी लाइन टेढ़े टांकों की बन जाये। अब सूई आखिरी टांके के बाईं ओर निचले कोने से निकली हुई होनी चाहिए। अब सूई को उसी टांके के दाएं ऊपरी कोने से डालें तथा अगले टांके से निचले बाएं कोने से निकालो ताकि (✕) पूरा बन जाए।

कंबल टांका- इस टांके का प्रयोग कंबलों के सिरों पर किया जाता है। रूमालों, मेज़ पोश, तुरपाई, कवर, आदि के किनारों पर भी इसको सजावट के लिए प्रयोग किया जाता है। इस टांके को लूप-स्टिच भी कहा जाता है। इसको बनाने के लिए सूई को वस्त्र से निकालकर सूई वाले धागे से दाईं ओर सूई से नीचे करो तथा सूई को खींचकर वस्त्र से बाहर निकालो। फिर 1/8″-1/9″ स्थान छोड़कर टांका लगाओ तथा इस तरह आखिर तक करते जाओ।