द्वितीयक गतिविधियों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है। द्वितीयक गतिविधियाँ प्रकृति से प्राप्त कच्चे माल का रूप बदलकर उसे और अधिक मूल्यवान बना देती हैं। द्वितीयक गतिविधियाँ खेतों, वनों, खदानों एवं सागरों व महासागरों से प्राप्त पदार्थों का रूप परिवर्तन कर उन्हें मूल्यवान बना देती हैं।
द्वितीयक गतिविधियाँ विनिर्माण, प्रसंस्करण एवं निर्माण अवसंरचना उद्योग से सम्बन्धित उदाहरण-
(i) कपास एक कच्चा पदार्थ है जिसका उपयोग सीमित है परन्तु रेशे में परिवर्तित होने के पश्चात् यह और अधिक मूल्यवान हो जाता है और इसका उपयोग वस्त्र निर्माण में होता है।
(ii) खदानों से प्राप्त लौह अयस्क का प्रत्यक्ष उपयोग नहीं किया जाता लेकिन अयस्क से इस्पात बनाने के पश्चात् यह मूल्यवान हो जाता है तथा इसका उपयोग अनेक प्रकार की मशीनें व औजार बनाने में होता है।