जनसंख्या संघटन के महत्त्वपूर्ण/घटक जनसंख्या संघटन के महत्त्वपूर्ण घटक आयु, लिंग, साक्षरता, आवास का स्थान आदि हैं। ये घटक विकास की भावी योजनाओं को निश्चित करने में सहायक होते हैं।
1. लिंग संघटन:
किसी भी देश की महत्त्वपूर्ण जनांकिकी विशेषता उसमें निवास करने वाले स्त्रियों और पुरुषों की संख्या होती है। जनसंख्या में स्त्रियों और पुरुषों की संख्या के बीच के अनुपात को लिंगानुपात कहा जाता है। लिंगानुपात किसी भी देश में स्त्रियों की स्थिति के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण सूचना होती है। औसतन विश्व में 1000 स्त्रियों के पीछे 1020 पुरुष हैं। यूरोप के लैटविया देश में विश्व का उच्चतम लिंगानुपात दर्ज किया गया है। इसके विपरीत एशिया के संयुक्त अरब अमीरात में निम्नतम लिंगानुपात दर्ज किया गया है। लिंगानुपात के विश्व प्रतिरूप से विश्व के विकसित देशों में कोई भिन्न अंतर नहीं दिखाई पड़ता है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सूचीबद्ध139 देशों में लिंगानुपात स्त्रियों के लिए अनुकूल है जबकि शेष 72 देशों में यह उनके लिए प्रतिकूल है। सामान्यतः एशिया महाद्वीप में लिंगानुपात की स्थिति अच्छी नहीं है। एशिया वहीं दूसरी ओर रूस सहित यूरोपीय महाद्वीप के एक बड़े भाग में पुरुष अल्प संख्या में हैं। यहाँ लिंगानुपात स्त्रियों के अनुकूल है।
2. आयु संरचना:
यह जनसंख्या संघटन का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। यह विभिन्न आयु वर्गों में लोगों की संख्या को प्रदर्शित करती है। सामान्यतः जनसंख्या को तीन प्रमुख आयु समूहों में विभाजित किया जाता है। ये हैं-बाल आयु वर्ग (0-14), प्रौढ़ आयु वर्ग/वयस्क (15-59) एवं वृद्ध आयु वर्ग (60 या इससे अधिक वर्ष)। जब किसी देश में बच्चों की संख्या अधिक होती है तो निर्भर जनसंख्या का अनुपात बढ़ जाता है। इसके विपरीत 15 से 59 वर्ष के आयु वर्ग में अधिक जनसंख्या होने पर कार्यशील जनसंख्या अधिक हो जाती है। 60 वर्ष से अधिक आयु वाली जनसंख्या का एक बड़ा अनुपात उस वृद्ध जनसंख्या को प्रदर्शित करता है, जिसे स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाओं के लिए अधिक खर्च की आवश्यकता होती है।
3. साक्षरता:
किसी देश की कुल जनसंख्या में साक्षर जनसंख्या का अनुपात उस देश के सामाजिक-आर्थिक विकास का सूचक माना जाता है। साक्षर जनसंख्या के अनुपात से लोगों के रहन-सहन के स्तर, महिलाओं की सामाजिक स्थिति, शैक्षणिक सुविधाओं की उपलब्धता तथा प्रशासनिक नीतियों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। वस्तुतः आर्थिक विकास का स्तर साक्षरता का कारण एवं परिणाम दोनों ही है।
4. व्यावसायिक संरचना:
कार्यशील जनसंख्या विभिन्न प्रकार की सेवाओं एवं उत्पादन कार्यों में संलग्न मिलती है। कार्यशील जनसंख्या निम्नलिखित पांच क्षेत्रों में कार्यरत मिलती है
(i) प्राथमिक क्षेत्र: जैसे कृषि, वानिकी, मत्स्य तथा खानन।
(ii) द्वितीयक क्षेत्र: परिवहन, संचार तथा अन्य सेवाएँ।
(iv) चतुर्थक क्षेत्र: अनुसंधान तथा वैचारिक विकास से संबंधित कार्य।
(v) पंचमक क्षेत्र:
परामर्शदाता, निर्णयकर्ता, नीति निर्माता एवं विशेषज्ञ। उक्त पाँचों क्षेत्रों में संलग्न कार्यशील जनसंख्या का अनुपात किसी देश के आर्थिक विकास के स्तर का एक उत्तम सूचक है। आदिम अर्थव्यवस्था वाले देशों की अधिकांश कार्यशील जनसंख्या प्राथमिक क्षेत्र में कार्यरत मिलती है जबकि एक विकसित अर्थव्यवस्था वाले देश की कार्यशील जनसंख्या का अधिकांश भाग द्वितीयक, तृतीयक, चतुर्थक एवं पंचमक क्षेत्रों में कार्यरत मिलता है।
(i) प्राथमिक क्षेत्र-जैसे कृषि, वानिकी, मत्स्य तथा खानन।
(ii) द्वितीयक
(iii) तृतीयक क्षेत्र: परिवहन, संचार तथा अन्य सेवाएँ।
(iv) चतुर्थक क्षेत्र: अनुसंधान तथा वैचारिक विकास से संबंधित कार्य।
(v) पंचमक क्षेत्र:
परामर्शदाता, निर्णयकर्ता, नीति निर्माता एवं विशेषज्ञ। उक्त पाँचों क्षेत्रों में संलग्न कार्यशील जनसंख्या का अनुपात किसी देश के आर्थिक विकास के स्तर का एक उत्तम सूचक है। आदिम अर्थव्यवस्था वाले देशों की अधिकांश कार्यशील जनसंख्या प्राथमिक क्षेत्र में कार्यरत मिलती है जबकि एक विकसित अर्थव्यवस्था वाले देश की कार्यशील जनसंख्या का अधिकांश भाग द्वितीयक, तृतीयक, चतुर्थक एवं पंचमक क्षेत्रों में कार्यरत मिलता है।