साहित्यिक परिचय- भाव पक्ष – प्रसाद जी आधुनिक कविता की छायावादी प्रवृत्ति से सम्बन्धित थे। आपकी रचनाओं में राष्ट्रवाद का स्वर प्रमुख है। आप करुणा, सौन्दर्य और प्रेम के चित्रकार थे। प्रकृति का मनोरम सजीव चित्रण भी आपकी विशेषता है। आपकी रचनाओं में भारतीय संस्कृति की मनोरम तथा गरिमामयी प्रतिष्ठा हुई है। कला पक्ष-प्रसाद जी की भाषा परिष्कृत साहित्यिक हिन्दी है। वह प्रभावपूर्ण तथा संस्कृतनिष्ठ है।
कहीं-कहीं वह क्लिष्ट भी हो गई है। वह ध्वन्यात्मक तथा लाक्षणिक है। उनकी शैली में प्रतीकात्मकता, ध्वन्यात्मकता और चित्रात्मकता है। आपने मानवीकरण, विशेषण-विपर्यय आदि नवीन अलंकारों का भी प्रयोग किया है। कृतियाँ-प्रसाद कवि, नाटककार, उपन्यासकार, कहानीकार तथा निबन्धकार हैं।
आपकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं-
- काव्य-कृतियाँ-आँसू, झरना, लहर तथा कामायनी (महाकाव्य)।
- नाट्य-कृतियाँअजातशत्रु, चन्द्रगुप्त, स्कंदगुप्त।
- उपन्यास-कंकाल, तितली, इरावती (अपूर्ण)।
- कहानी-संग्रह-आँधी, इंद्रजाल, छाया, प्रतिध्वनि।
- निबन्ध संग्रह काव्य और कला तथा अन्य निबन्ध।