डी-ब्रॉग्ली परिकल्पना-परिकल्पना के अनुसार, “जिस प्रकार तरंगों के रूप में विकिरण ऊर्जा से कणों के लाक्षणिक गुणों का सम्बद्ध होना पाया जाता है, ठीक उसी प्रकार गतिशील द्रव्य क कणों के साथ तरंगों के लाक्षणिक गुण सम्बद्ध होने चाहिए। अर्थात् गतिशील द्रव्य कणों को तरंगों की भाँति व्यवहार करना चाहिए।” इस परिकल्पना स्व को डी-ब्रॉग्ली परिकल्पना कहते हैं और गतिशील द्रव्य कण से सम्बद्ध तरंगों को ‘द्रव्य तरंगें’ कहते है।
अतः डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य λ = h/p
जहाँ h, प्लांक नियतांक एवं p संवेग है।
उपपत्ति-प्लांक क्वाण्टम सिद्धान्त के अनुसार किसी फोटॉन की ऊर्जा
E = hv …… (1)
जहाँ h प्लांक नियतांक एवं v आवृत्ति है।
यदि फोटॉन का गतिक द्रव्यमान m हो तो आइन्स्टीन के द्रव्यमान, ऊर्जा सम्बन्ध से
E = m.c2 …… (2)
जहाँ c, प्रकाश की चाल है। समी.
(1) व (2) से, hv = mc2 …… (3)
यदि फोटॉन से सम्बद्ध तरंग की तरंगदैर्ध्य λ है तो
c = vλ ⇒ v = c/λ
∴ समी. (3) से,
hc/λ = mc2
या h/λ = mc = p
जहाँ p = mc = फोटॉन का संवेग
∴ λ = h/p ……. (4)
यही अभीष्ट व्यंजक है।