सन्दर्भ एवं प्रसंग- प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक क्षितिज में संकलित कवि गिरिजाकुमार माथुर की कविता ‘छाया मत छूना’ से लिया गया है। कवि यहाँ जीवन के कठोर सत्यों का सामना करने की कह रहा है।
व्याख्या- कवि कहता है- यश, धन-वैभव या पूँजी ये सभी मनुष्य को भ्रमित करने वाले हैं। इनके पीछे मनुष्य जितना भागता है उतना ही अधिक भ्रम में पड़ जाता है। संसार में प्रभुता या बड़प्पन पाने की लालसा केवल एक धोखा है। यह कभी पूरी नहीं होती। यहाँ हर चाँदनी के पीछे एक काली रात छिपी है अर्थात् हर सुख के साथ एक दु:ख जुड़ा हुआ है। इसलिए यश-वैभव, प्रभुता और सुख के पीछे भागना छोड़कर जीवन के कठोर सत्यों का सामना कर। यथार्थ को स्वीकार और शिरोधार्य करके जीवन बिता। कल्पनाओं में जीते रहने और भ्रम के पीछे दौड़ने से तेरे दुःख और दूने हो जाएँगे।