बालक या बच्चे के व्यक्तित्व के विकास में विद्यालय के वातावरण का विशेष महत्व है। अध्यापक, प्रधानाध्यापक, सहपाठियों के व्यक्तित्व सम्बन्धी गुण, शिक्षण विधियाँ, पाठ्यक्रम, पाठान्तर क्रियाओं का आयोजन, विद्यालय द्वारा बना कर रखे हुए ऊँचे आदर्श तथा मूल्य और विद्यालय का सामान्य वातावरण आदि सभी तत्व बच्चे के व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करते हैं।
यही कारण है कि जिन विद्यालयों के परिवेश एवं पढ़ाई-लिखाई के स्तर के बारे में काफी प्रसिद्धि होती है उनमें प्रवेश पाने के लिए काफी भीड़ रहती है और उन विद्यालयों से निकले हुए विद्यार्थियों की व्यक्तित्व सम्बन्धी एक विशेष छाप या पहचान होती है। अच्छे, सामान्य तथा निम्न दर्जे के विद्यालयों और उनमें प्राप्त वातावरण सम्बन्धी अनुभवों में से निकले हुए विद्यार्थियों के व्यक्तित्व सम्बन्धी अन्तरों को बड़े ही स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है और यही बात सिद्ध करने में पूरी तरह समर्थ है कि विद्यालय का वातावरण व्यक्तित्व निखारने के रूप में काफी अहं भूमिका निभाता है।