मानवीय क्षमताओं पर दबाव के प्रभाव को मुख्यतः तीन पक्षों के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है –
1. संज्ञानात्मक पक्ष पर दबाव के प्रभाव:
- इसमें वे क्षमताएँ शामिल होती हैं जो मुख्य रूप से मस्तिष्क के द्वारा संचालित होती है।
- इस पक्ष के अन्तर्गत दबाव का प्रभाव व्यक्ति के चिन्तन, स्मृति, तर्कणा व निर्णय क्षमता पर दृष्टिगोचर होता है।
- इस पक्ष के अन्तर्गत व्यक्ति पर अधिक दबाव पड़ने के परिणामस्वरूप उसकी चिन्तन योग्यता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- इसके अलावा अधिक दबाव होने की स्थिति में व्यक्ति की जीवन के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति में वृद्धि होती है।
2. संवेगात्मक पक्ष पर दबाव के प्रभाव:
- इसमें वे क्षमताएँ होती हैं, जो व्यक्ति के व्यवहार के भावात्मक पक्ष या भावनाओं से सम्बन्धित होती है।
- इस पक्ष के अन्तर्गत अधिक दबाव के कारण व्यक्ति में अनेक संवेगात्मक परिवर्तन होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनमें घबराहट व उदासी की प्रवृत्ति में वृद्धि होती है।
- इस पक्ष के अन्तर्गत व्यक्ति के लिए डर, दुश्चिन्ता तथा अवसाद की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।
- दबाव से व्यक्ति के मन में निराशा व असफलता के भाव भी उत्पन्न होते हैं।
3. व्यवहारात्मक पक्ष पर दबाव के कारण:
- इसमें व्यक्ति के व्यवहार और उसकी अनुक्रियाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- इसमें दबाव अधिक होने पर नींद में कमी, भूख कम लगना तथा मद्यपान सेवन आदि की प्रवृत्ति दृष्टिगोचर होती है।
- इससे व्यक्ति का पारिवारिक व सामाजिक विघटन होता है। इसके अलावा शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को भी गम्भीर रूप से क्षति पहुँचती है।