दबाव का सामना करने की विभिन्न तकनीकें हैं, जो निम्नलिखित हैं –
1. उचित क्रिया द्वारा दबाव का सामना:
इस क्रिया के अन्तर्गत दबावपूर्ण स्थिति की पूरी तरह जानकारी प्राप्त करके, उससे बचाव के लिए विकल्पों या साधनों को जुटाया जाता है। इससे समस्या के समाधान में सहायता मिलती है। उदाहरण के लिए यदि किसी दफ्तर में कर्मचारी अपने काम को लेकर दबाव में है तो, उस कार्य को कम करने के लिए वह जल्दी दफ्तर आ सकता है, साथ ही किसी अन्य कर्मचारी की सहायता को प्राप्त कर सकता है, जिससे उस पर काम का दबाव इस उचित क्रिया के द्वारा कम हो सकता है।
2. संवेगों पर नियंत्रण द्वारा:
क्रोध, भय, प्रेम तथा दया आदि भावनाएँ संवेग पर आधारित होती हैं। इस तकनीक के अन्तर्गत व्यक्ति समस्या के निदान के लिए अपने संवेगों पर नियंत्रण रखने का प्रयास करता है, जिससे स्थिति सबल हो सके। इस विधि के अन्तर्गत व्यक्ति विषम परिस्थितियों में भी अपने आपको सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण रखता है तथा वह जोश में रहते हुए अपने कार्यों को पूर्ण करता है। वह नकारात्मक क्रियाओं जैसे भय व क्रोध आदि को अपने से दूर रखता है तथा अपने लक्ष्य की प्राप्ति में आने वाली समस्त बाधाओं को दूर करते हुए निरन्तर प्रयासरत रहता है।
3. परिहार द्वारा दबाव का सामना:
इस विधि के अन्तर्गत व्यक्ति स्वयं को कठिन स्थिति में गम्भीर नहीं रखता है, बल्कि उसे नकार देता है जिससे मन ऐसी स्थिति को अपने पर हावी ही नहीं होने देता है।
उदाहरण के लिए:
1. ‘Laughter therapy’ इसका एक जीवन्त उदाहरण है, इसके अन्तर्गत व्यक्ति विषय स्थिति में जोर-जोर से हँस कर समस्या को दूर करने का प्रयास करता है।
2. योग प्रणाली के अन्तर्गत भी इस तथ्य को स्पष्ट किया गया है कि यदि व्यक्ति सुबह सैर करने के दौरान ताली बजाते हुए ठहाके लगाकर हँसता है, तो उसकी समस्या तो दूर होगी ही साथ ही इससे उसका स्वास्थ्य भी उत्तम रहेगा।
अत: उपरोक्त विधियों के द्वारा व्यक्ति दबाव का सामना कर सकता है।