समायोजन से तात्पर्य व्यक्ति विशेष की उस मनोदशा, स्थिति या की जाने वाली उस व्यवहार प्रक्रिया से है, जिसके माध्यम से वह यह अनुभव करता है कि उसकी आवश्यकताओं की सन्तुष्टि हो रही है और उसका व्यवहार समाज और संस्कृति की अपेक्षाओं के अनुकूल ही चल रहा है। दूसरे शब्दों में, जीव विज्ञान की भाषा में जिसे अनुकूलन कहा जाता है, मनोविज्ञान में इसी को समायोजन की संज्ञा दे दी जाती है।
जीवधारियों को जीने के लिए जिस रूप में अनुकूलन की जरूरत होती है वैसे ही व्यक्तियों को अपने से और अपने से वातावरण से तालमेल रखते हुए अपनी आवश्यकताओं की भली-भाँति संतुष्टि करते रहने के लिए समायोजन प्रक्रिया की आवश्यकता रहती है।