(अ) सिनेमा पर भूमंडलीकरण का प्रभाव सिनेमा पर भूमंडलीय प्रभाव को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है।
(1) सिनेमा की कहानियों पर प्रभाव: जब भूमंडलीकरण बहुत कम था उस समय की फिल्मों की कहानियाँ स्थानीय रहती थीं पर कभी-कभी उनमें विदेशी दृश्य होते थे। आज भूमंडलीकरण के कारण फिल्मों में बहुत परिवर्तन आया है, आज की फिल्मों की कहानियाँ भी देश-विदेशों की फिल्मों की कहानियों से प्रभावित होती हैं जो अधिकांश
(2) तकनीक पर प्रभाव: फिल्मों की तकनीक भी कम होती थी। स्टंट के दृश्य, गानों के दृश्य में बहुत मेहनत करनी पड़ती थी। कभी-कभी इन दृश्यों को फिल्माने में दुर्घटना भी घट जाती थी; जैसे-मदर इण्डिया में आग के दृश्य में दुर्घटना घट गई थी। आज फिल्मों के दृश्यों में सजीवता लाने के लिए कम्प्यूटरों का प्रयोग किया जाता है।
(3) परंपराओं का घटता प्रभाव: ये फिल्में अधिकांश जाति, धर्म, परम्परा, शास्त्रीय संगीत से दूर होती जा रही हैं।
(4) विदेशी कहानियाँ, दृश्यों तथा अभिनेताओं का प्रवेश: आज की फिल्मों में विदेशी कहानियाँ, विदेशी अभिनेता (जैसे फिल्म प्रोबोक), विदेशी अभिनेत्री (जैसे काइट्स) को लिया जाता है। फिल्मों की शूटिंग भी अधिकांश विदेशी लोकेशन पर होती है।
(5) विभिन्न भाषाओं में फिल्मों का प्रदर्शन: भूमंडलीय प्रभाव के कारण ही आज बच्चों की फिल्में, कार्टून फिल्में, कॉमेडी फिल्में, सामाजिक तथा प्रेम (लव) फिल्में एक ही साथ कई भाषाओं में प्रस्तुत की जाती हैं। फिल्म फेस्टीवल्स तथा फिल्म प्रोमोशन प्रदर्शन भी विभिन्न देशों तथा मुख्य शहरों में समय-समय पर अत्यधिक प्रदर्शन व प्रचार के साथ दिखाये जाते हैं।
(6) अन्य प्रभाव: भूमंडलीकरण के सिनेमा पर कुछ अन्य प्रमुख प्रभाव इस प्रकार हैं।
- संगीत और नृत्य के रूप, प्रस्तुतीकरण की शैलियाँ, प्राकृतिक तथा अन्य दृश्यों, फिल्मी सेट्स आदि एकदूसरे देशों की फिल्मों से लिये जा रहे हैं और भूमंडलीय स्तर पर फिल्म उद्योग से संबंधित लोगों के मस्तिष्कों को प्रभावित कर रहे हैं।
- भूमंडलीकरण के कारण सूचना तकनीक में आए परिवर्तन, फोटोग्राफी, म्यूजिकल साधनों, कैमरा आदि में आए नवीन परिवर्तनों ने सिनेमा पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। इसने सिनेमा निर्माताओं के लिए विस्तृत और व्यापक बाजार खोल दिया है तथा लोगों को भी अपनी इच्छा तथा विचारों के अनुरूप अधिक फिल्में देखने को मिल रही हैं।
(ब) कार्य पर भूमंडलीकरण का प्रभाव भूमंडलीकरण के कारण आज अधिकांश घरेलू कार्य मशीनों द्वारा किए जाते हैं। जो मशीनें पहले विदेशों में ही थीं, वे आज लगभग हर भारतीय परिवारों में मिल जाती हैं।
उदाहरण - चटनी व मसाले जो पहले हाथ से पीसे जाते थे, वे आज मिक्सी के माध्यम से पीसे जाते हैं । बर्तन डिश - वाशर तथा कपड़े वाशिंग मशीन से धोए जाते हैं। सफाई वेक्यूम क्लीनर से की जाती है। घरेलू कार्य में मशीनों के प्रयोग ने भारतीय नारी को बहुत प्रभावित किया है, जो भारतीय नारी पहले दिन भर घर के कार्यों में लगी रहती थीं वो आज अपना घरेलू कार्य कुछ घण्टों में कर लेती हैं। बचे हुए समय में वह नौकरी, ट्यूशन या कोई अन्य व्यवसाय कर लेती हैं।
(स) विवाह पर भूमंडलीकरण का प्रभाव विवाह पर भूमंडलीकरण के प्रभाव को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है।
(1) जाति-संस्था का घटता प्रभाव - भूमंडलीकरण के प्रभाव से विवाह संस्था भी अछूती नहीं रही है। भारत में भी उच्च वर्ग में अब विवाह जाति-धर्म के आधार पर न होकर वर्ग के आधार पर होते हैं। आज अधिकांश बड़े शहरों में विवाह में जाति-धर्म को कम देखा जाता है। लड़के-लड़की की शिक्षा, नौकरी, चरित्र, गुण पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल लव मैरिज भी बढ़ रहे हैं।
(2) विवाह को एक संस्कार से एक समझौता मानने की तरफ बढ़ता चलन- भारतीय संस्कृति में जो विवाह एक संस्कार माना जाता था वह अब एक समझौता माना जाने लगा है। अर्थात् पति-पत्नी की न बनने की स्थिति में तलाक लेने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
(3) विवाह कराने वाले माध्यमों में परिवर्तन - पहले विवाह किसी व्यक्ति के माध्यम से होते थे, आज विवाह इंटरनेट, अखबार के माध्यम से होते हैं।
(4) वैवाहिक खर्च में अब प्रस्थिति और फैशन प्रदर्शन पर जोर- विवाह में किया जाने वाला खर्च व्यक्ति की समाज में प्रस्थिति निर्धारित करता है। विवाह में सजावट, व्यंजनों की वैराइटी, ज्वैलरी, कपड़ों पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं । अब विवाह समाज में पुरुष महिलाओं के वस्त्र, ज्वैलरी, बड़ी-बड़ी गाड़ियों के प्रदर्शन का माध्यम बनता जा रहा है।