(अ) आज मास मीडिया (टेलीविजन, सिनेमा, समाचार पत्रिका, इंटरनेट, टेलीफोन या मोबाइल फोन) हमारे दैनिक जीवन का एक अंग बन गया है। इसलिए जनसम्पर्क के किसी माध्यम से विहीन दुनिया की कल्पना करना भी कठिन है। लेकिन औद्योगिक क्रांति से पूर्व सभी देशों में इस प्रकार के साधनों का अभाव था। अतः यह कल्पना की जा सकती है कि यदि मास मीडिया के ये साधन नहीं होंगे तो हमारी दुनिया औद्योगिक क्रांति से पूर्व की दुनिया की भाँति हो जायेगी।
औद्योगिक क्रांति से पूर्व कोई व्यक्ति अन्य व्यक्ति से विचारों का आदान - प्रदान आमने - सामने की स्थिति में करता था जिसे अन्तर - व्यक्ति संचार कहा जाता था। जब मास मीडिया विकसित नहीं हुए थे तो इसी प्रकार का संचार व्यक्तियों की अन्तःक्रियाओं का आधार था। इस स्थिति में दूर स्थित अपने नातेदारों का हाल - चाल पूछना भी कठिन कार्य था। मास मीडिया के अभाव में पुनः हम ऐसी ही दुनिया की कल्पना कर सकते हैं।
(ब) एक दिन के दैनिक क्रियाकलाप छात्र स्वयं लिखें। निम्नलिखित अवसरों पर हम जनसम्पर्क या जनसंचार का प्रयोग करते हैं।
- मित्रों, रिश्तेदारों से सम्पर्क के लिए मोबाइल, फोन व इन्टरनेट का प्रयोग,
- मनोरंजन व ज्ञान प्राप्ति के लिए टेलीविजन व रेडियो का प्रयोग,
- रोजगार प्राप्ति के लिए समाचारपत्र, इंटरनेट का प्रयोग,
- अध्ययन सम्बन्धित जानकारी व ज्ञान प्राप्ति के लिए इंटरनेट व समाचारपत्र-पत्रिकाओं का प्रयोग।
(स) संचार के इन साधनों के अभाव में पुरानी पीढ़ी पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ता था क्योंकि उन्हें इन चीजों की आदत नहीं थी। वे सादा जीवन उच्च विचार का अनुसरण करते थे। उदाहरण के लिए - प्रथमतः आज संचार के साधनों के उपलब्ध होने पर बच्चे अपना मनोरंजन कार्टून नेटवर्क, पोगो या अन्य किसी चैनल के कार्यक्रम देखकर घर के भीतर ही करते हैं, जबकि इन संचार के साधनों के अभाव में पहली पीढ़ियों के बच्चे आस - पड़ोस के बच्चों के साथ खेलकर अथवा अपने ही परिवार में दादा - दादी से कहानी सुनकर अपना मनोरंजन करते थे। मनोरंजन की आवश्यकता अब भी बच्चों को वैसी ही है, जैसे पहले थी। पहले परिवार एवं पड़ोस इसका साधन था तो आज रेडियो, टेलीविजन इसका साधन हैं।
दूसरे, संचार के साधनों के अभाव में दूर - दराज के नातेदारों से उतना सम्पर्क नहीं हो पाता था जितना आज सम्भव है। लेकिन पहले गतिशीलता भी नहीं थी। नातेदार बहुत देर के नहीं होते थे, बल्कि पड़ोस के कस्बे या गाँव में ही होते थे; परिवार के सदस्य बहुत दूर नौकरी आदि करने के लिए नहीं जाते थे। इसलिए उनसे निरन्तर सम्पर्क स्थापित करने की भी कोई समस्या नहीं थी।
तीसरे, उस समय की पीढ़ी अधिकांश कार्य हाथ या जानवर की सहायता से करती थी जैसे - आटा व मसाले पीसना, खेती करना, फसल काटना इत्यादि; इस कारण उनका अधिकांश समय कार्य करने में व्यतीत हो जाता था। उन्हें खाली समय कम मिलता था। आज अधिकांश घरेलू कार्य मशीनों के माध्यम से होते हैं। आवागमन के लिए विभिन्न यातायात के साधन मनोरंजन व ज्ञान प्राप्ति के लिए विभिन्न जनसंचार के साधन हैं जो आज की पीढ़ी के जीवन का अभिन्न अंग हैं।
(द) संचार प्रौद्योगिकियों का विकास होने से कार्य करने और खाली समय के बिताने के तरीकों में अनेक प्रकार का बदलाव आया है।
पहले खाली समय बिताने के लिए आस - पड़ोस के सम - वयस्क मित्रों की आवश्यकता होती थी। व्यक्ति अपना खाली समय घर के कामकाज में, बच्चों के साथ अथवा पड़ोसियों के साथ बिताता था। पहले संयुक्त परिवार होने से बच्चे अपने परिवार में ही, पारिवारिक गप - शप या मनोरंजन में अपना खाली समय निकाल लेते थे।
आजकल शहरों में एकाकी परिवार की प्रमुखता है तथा पड़ोस के महत्त्व में कमी आई है। अब व्यक्ति अपना खाली समय व्यतीत करने के लिए संचार प्रौद्योगिकियों के विकास का लाभ उठाता है। वह इंटरनेट द्वारा चैटिंग कर अथवा दूरदराज पर अपने दोस्तों को ई - मेल भेजकर अथवा टेलीविजन देखकर अपना खाली समय व्यतीत करता है। निर्धन लोग रेडियो सुनकर भी अपने खाली समय में मनोरंजन कर लेते हैं । आधुनिक शिक्षित नारियाँ खाली समय में कोई व्यावसायिक कार्य कर या नौकरी कर अपना समय व्यतीत करती हैं या किटी पार्टी का सहारा लेती हैं, अधिकांश गृहिणियाँ टेलीविजन के सोप-ओपेरा कार्यक्रम देखकर अपना समय बिताती हैं।