टेलीविजन की लोकप्रियता से पहले जनसंचार के माध्यम के रूप में रेडियो की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। दो - तिहाई घरों में रेडियो समाचारों और मनोरंजन का प्रमुख साधन था। टेलीविजन की बढ़ती लोकप्रियता से ऐसा लगने लगा कि रेडियो ख़त्म होता जा रहा है। लेकिन एक जनसंचार के माध्यम के रूप में रेडियो खत्म नहीं हो रहा है। 2002 में गैर - सरकारी स्वामित्व वाले एफ.एम. रेडियो स्टेशनों की स्थापना से आज पुनः रेडियो जनसंचार का एक लोकप्रिय साधन बन गया है।
उदारीकरण के बाद भारत में एफ.एम. स्टेशनों के सामर्थ्य :
- उदारीकरण के बाद भारत में एफ.एम. स्टेशनों की स्थापना से रेडियो पर मनोरंजन कार्यक्रमों में बढ़ोतरी
- अधिकांश एफ.एम. चैनल जो युवा शहरी व्यावसायिकों तथा छात्रों में लोकप्रिय हैं, अक्सर मीडिया समूहों के होते हैं, जैसे - 'रेडियो मिर्ची' टाइम्स ऑफ इंडिया समूह का है, 'रैड' एफ.एम. लिविंग मीडिया का और 'रेडियो सिटी' स्टार नेटवर्क के स्वामित्व में है।
- एफ.एम. चैनल राजनीतिक समाचार प्रकाशित नहीं कर सकते। अतः ये चैनल श्रोताओं को लुभाने के लिए किसी विशेष प्रकार के लोकप्रिय संगीत में अपनी विशेषता रखते हैं।
- भारत में एफ.एम.चैनलों को सुनने वाले घरों की बढ़ती संख्या ने स्थानीय रेडियो द्वारा नेटवर्कों का स्थान ले लेने की विश्वव्यापी प्रवृत्ति को बल दिया है।
- चौपहिया वाहनों और सेलफोनों में एफ.एम. के प्रयोग ने रेडियो को पुनर्जीवित कर दिया है।