आधुनिक युग में प्रेस प्रचार का सबसे प्रमुख साधन बना गया है। इसके द्वारा विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं, विज्ञापनों, पुस्तकों, इश्तहारों तथा अन्य प्रकार की सामग्री का प्रकाशन होता है।
प्रेस को जनसंचार का सर्वाधिक महत्वपूर्ण साधन कहा जा सकता है, जिसके द्वारा समाचारों, विज्ञापनों, कार्टूनों, लेखों, कहानियों, उपन्यासों, कविताओं और संपादकीय लेखों आदि का प्रकाशन होता है। प्रेस में प्रकाशित सामग्री सुविधा के साथ सर्वसाधारण को उपलब्ध होती है और उनके विचारों और व्यवहारों पर इसका प्रभाव पड़ता है।
प्रेस के महत्व को निम्नलिखित आधारों पर स्पष्ट कर सकते हैं –
- प्रजातंत्र बहुमत पर आधारित शासन व्यवस्था है। प्रजातंत्र एक बहुदलीय व्यवस्था की है, जिसमें विभिन्न राजनैतिक दल सत्ता प्राप्त करने के लिए चुनाव की राजनीति में भाग लेते हैं। प्रेस सामग्री के माध्यम से राजनैतिक दल जनता तक पहुँचते हैं। संपादकीय लेखों के द्वारा व अपीलों या आकर्षित विज्ञापनों के माध्यम से विशिष्ट प्रत्याशियों को सफल बनाने का आग्रह करते हैं। पोस्टर, बिल्ले एवं दुकानों पर छपे हुए झंडे भी प्रेस की ही देन है।
- वर्तमान युग विज्ञापन का युग है। कोई वस्तु तभी अधिक बिकती है जब उसका विज्ञापन अधिक होता है। मासिक पत्रिकायें एवं दैनिक तथा साप्ताहिक समाचार-पत्र इन विज्ञापनों से भरे रहते हैं जिन्हें देखकर व्यक्ति उन वस्तुओं को आवश्यकतानुसार एक बार अवश्य खरीदने के लिए तत्पर हो जाते हैं।
- नये विचार और पाश्चात्य परिवार प्रणाली की जानकारी प्रेस के द्वारा मिलती है जिसके फलस्वरूप भारतवर्ष में प्रजातांत्रिक परिवार का विकास हो रहा है जिसमें बच्चों के अधिकारों का ध्यान रखा जाता है और नारी को समानता के स्तर पर ही नहीं बल्कि परिवार स्वामिनी समझा जाता है।
- शिक्षा प्रजातंत्र का आधार है। प्रेस शिक्षा प्रसार का मुख्य साधन है। संपूर्ण शिक्षा ही प्रेस पर निर्भर करती है। साक्षरता और स्कूली शिक्षा के प्रसार के अतिरिक्त सामाजिक शिक्षा के विस्तार में भी प्रेस बहुत सहायक सिद्ध हुआ है। प्रेस द्वारा उपलब्ध ज्ञान सामग्री समाज में राजनैतिक चेतना जाग्रत करने तथा लोकतांत्रिक मूल्यों और आचरण प्रतिमानों का प्रसार करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है।
- धार्मिक क्षेत्र में प्रेस का विशेष योगदान है। जैसे ‘गीता प्रेस गोरखपुर’ के द्वारा हिंदू धर्म पर विशाल धार्मिक साहित्य का प्रकाशन व प्रसार-प्रचार हुआ है। घर-घर में रामायण और गीता पहँचाने का श्रेय गीता प्रेस को ही जाता है। इसी प्रकार से नित्य – प्रति धार्मिक पुरुषों के विचार, प्रवचन आदि छपकर जनता के सामने आते हैं जिनका प्रभाव अनिवार्य रूप से समाज पर पड़ता है।