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सिलाई मशीन के विभिन्न पुर्जा तथा उनकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए।

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सिलाई मशीन के विभिन्न पुर्जे तथा उनकी उपयोगिता निम्नलिखित है –

(1) दबाव पद छड़: यह धातु की बनी छड़ होती है। इसके नीचे दबाव पद होता है।

(2) दबाव पद: यह दबाव पद छड़ के नीचे की ओर लगा होता है। एक पेंच द्वारा यह दबाव पद छड़ से जुड़ा रहता है। इसका आकार दो छोटे जूते के समान होता है। इसे पैर भी कहते हैं। यह निडिल बार में लगा होता है। यह सिलाई के समय कपड़े को दबाने का कार्य करता है।

(3) सुई छड़: इसका एक सिरा ऊपर तथा एक नीचे होता है। नीचे के भाग में सुई लगायी जाती है जो वस्त्रों को सिलाने का कार्य करती है।

(4) क्लैम्प स्क्रू / सुई कसने का पेच: मशीन में सुई को फिट करने की चुटकी को क्लैम्प स्क्रू या सुई कसने का पेंच कहते हैं। स्क्रू को ढीला करके सुई को ऊपर नीचे किया जा सकता है। सुई लगाते समय सुई का गोल भाग बाहर व चपटा भाग अन्दर की ओर फिट करते हैं।

(5) स्पूल पिन: यह दो लम्बी पिनों के समान होती है। यह मशीन के ऊपरी भाग में फिट रहती है। सिलाई के समय धागे की रील इसी पर लगाई जाती है।

(6) प्रेशर फुटवार लिफ्टर: दबाव पद की छड़ पर एक घुमावदार रॉड लगी होती है जिसके ऊपर नीचे करने से दबाव पद भी ऊपर नीचे होता है।

(7) थ्रेड टेंशन डिवाइस एवं डिस्कस: यह धागे के तनाव को नियोजित करने वाला भाग है। इसमें एक स्प्रिंग में दो गोल पत्तियों के बीच सामने की ओर एक पेंच लगा रहता है। जिसे कसने तथा ढीला करने पर धागे का तनाव कम या अधिक किया जाता है। इसलिये इसे थ्रेड टेंशन डिवाइस कहते हैं। इसके पीछे दो चकरियाँ थ्रेड टेंशन डिस्कस कहलाती है। सामने का धागा इन्हीं डिवाइस चकरियों के बीच से निकालकर टेकअप लीवर से निकालकर सुई में पिरोते हैं।

(8) टेकअप लीवर: यह मशीन के मुखप्लेट पर लगा होता है। थ्रेड टेंशन डिस्कस से धागे को निकालकर टेकअप लीवर में
डालते हैं। सिलाई करते समय ‘फ्लाई व्हील’ के घूमने से यह लीवर ऊपर नीचे होकर बखिया करने में सहायता करता है।

(9) मुखपट: यह मशीन का मुख है जो सामने की ओर रहता है। इस पर टेकअप लीवर थ्रेडटेंशन व डिस्कस आदि लगे होते हैं। सुई छड़ इसी के नीचे लगी होती है।

(10) स्लाइड प्लेट: यह स्टील का बना चौकोर भाग है। जो निडिल प्लेट के साथ लगा होता है। इसे बाईं ओर खिसकाकर आसानी से बॉबिन को निकाला व लगाया जा सकता है।

(11) निडिल प्लेट: यह सुई और प्रेशर फुट के नीचे स्टील की बनी प्लेट है जिससे बने छेद में जाकर, बॉबिन से घागा ऊपर लाती है। सिलाई करते समय छेद से सुई अन्दर बाहर आती जाती है और टाँके लगाती है। इसके नीचे कपड़े को – खिसकाने वाले दाँते लगे होते हैं।

(12) बॉबिन वाइन्डर: यह फ्लाई व्हील के सहारे लगा एक छड़ जैसा पिन है जिसके सहारे बॉबिन अर्थात् फिरकी में धागा भरा रहता है।

(13) टाँकानियामक: यह मशीन के पीछे पर सामने की ओर एक लम्बा खाँचा होता है जिसके बीच में एक स्क्रू लगा होता है जिसे ऊपर नीचे करने पर बखिया छोटी बड़ी होती है। इस खाँचे पर ऊपर की ओर ऐसे 5 अंक अंकित होते हैं। सबसे ऊपर की ओर बखिया बारीक से मोटा होता जाता है। अर्थात् 5 नम्बर पर बखिया सबसे मोटी होती हैं और 3 नम्बर से नीचे जाने पर बखिया महीन होती जाती है।

(14) फ्लाई व्हील: यह एक गोल पहिया है जिसके घुमाने पर ही मशीन चलती है। इसे हत्थे से घुमाया जाता है।

(15) बॉबिन और बॉबिन केस: धागा लपेटने वाली फिरकी को “बॉबिन और जिस डब्बी में यह रखा जाता है, उसे बॉबिन केस कहते हैं।

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