व्यावसायिक पर्यावरण के विभिन्न आयाम:
व्यावसायिक पर्यावरण के आयाम अथवा समष्टि पर्यावरण के मुख्य घटक निम्नलिखित हैं-
1. राजनैतिक पर्यावरण- राजनैतिक पर्यावरण में देश में सामान्य स्थिरता एवं शांति तथा चुनी गई सरकार के प्रतिनिधियों का व्यवसाय के प्रति विशिष्ट दृष्टिकोण जैसी राजनैतिक परिस्थितियाँ सम्मिलित हैं। राजनैतिक स्थिरता देश की अर्थव्यवस्था के लिए दीर्घ-अवधि परियोजनाओं में निवेश के लिए व्यवसायियों में आत्मविश्वास पैदा करती है। राजनैतिक अस्थिरता इस विश्वास को खण्डित कर सकती है। इसी प्रकार से सरकारी अधिकारियों का व्यवसाय के प्रति दृष्टिकोण का व्यवसाय पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
2. आर्थिक पर्यावरण- व्यावसायिक पर्यावरण के विभिन्न घटकों या तत्त्वों में आर्थिक वाताव का भी विशेष महत्त्व है। ब्याज की दर, मूल्य वृद्धि दर, लोगों की खर्च करने योग्य आय में परिवर्तन, शेयर बाजार सूचकांक एवं रुपये का मूल्य साधारण पर्यावरण अर्थात् समष्टि पर्यावरण के कुछ आर्थिक तत्त्व हैं जो व्यावसायिक उद्यम में प्रबन्ध के कार्यों को प्रभावित कर सकते हैं। लघु अवधि एवं दीर्घ अवधि के लिए ब्याज की दर उत्पाद एवं सेवाओं की माँग को प्रभावी ढंग से प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए निर्माण का कार्य कर रही कम्पनियों तथा ऑटोमोबाइल विनिर्माता में नीचे दीर्घ अवधि की दरें अधिक लाभप्रद हैं क्योंकि इससे उपभोक्ताओं द्वारा घर एवं वाहन खरीदने के लिए, ऋण लेकर व्यय में वृद्धि हो रही है। इसी प्रकार देश के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि के कारण लोगों की आय में वृद्धि होती है जिससे वस्तुओं की माँग में वृद्धि होती है। उच्च दर की मूल्य वृद्धि का सामान्यतः व्यावसायिक उद्यमों पर दबाव पड़ता है क्योंकि इससे व्यवसाय की विभिन्न लागतों में वृद्धि होती है जैसे कच्चा माल, मशीनें, कर्मचारियों की मजदूरी आदि।
3. सामाजिक पर्यावरण- सामाजिक पर्यावरण में सामाजिक शक्तियाँ सम्मिलित हैं, जैसे-रीति-रिवाज, मूल्य, सामाजिक बदलाव, व्यवसाय से समाज की अपेक्षाएँ आदि। उदाहरण के लिए भारत में दीपावली, होली, ईद, क्रिसमिस, गुरुपर्व जैसे त्यौहारों का मनाना कई कम्पनियों, मिठाई की दुकानों, दर्जी एवं अन्य सम्बद्ध व्यवसायों को सार्थक वित्तीय अवसर प्रदान करता है।
भारत में व्यक्तिगत स्वतन्त्रता, सामाजिक न्याय, समान अवसर एवं राष्ट्रीय एकता प्रमुख मूल्यों के उदाहरण हैं जिन्हें हम सभी सँजोकर रखना चाहते हैं। व्यवसाय के सन्दर्भ में यह मूल्य बाजार में चयन की छूट, समाज के प्रति व्यवसाय के उत्तरदायित्व एवं रोजगार के समान अवसरों को जन्म देते हैं। सामाजिक बदलाव से व्यवसाय को विभिन्न अवसर मिलते हैं एवं खतरे होते हैं। उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य एवं फिटनेस शहरी लोगों में लोकप्रिय हो रहा है। इससे जैविक खाद्य पदार्थ, डायट पेय पदार्थ, जिम, मिनरल वाटर एवं भोजन के पूरक जैसे पदार्थों की माँग पैदा हो गई है।
4. विधिक पर्यावरण- इसमें सरकार द्वारा पारित विभिन्न विधेयक, सरकारी अधिकारियों द्वारा जारी प्रशासनिक आदेश, न्यायालयों के फैसले, राज्य अथवा स्थानीय प्रशासन के प्रत्येक स्तर पर नियुक्ति, विभिन्न कमीशन एवं एजेन्सियों के निर्णय सम्मिलित हैं। प्रबन्ध के लिए देश के कानून का पालन करना अनिवार्य है। इसीलिए व्यवसाय के श्रेष्ठ परिचालन के लिए सरकार द्वारा पास किये गये नियमों का पर्याप्त ज्ञान अपेक्षित है, कानूनों का पालन नहीं करने पर व्यावसायिक संस्थाएँ मुसीबत में फंस सकती हैं। विधिक पर्यावरण के प्रभाव को उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए सरकारी नियमों के उदाहरण से समझाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, सिगरेट के विज्ञापन में तथा इनके डिब्बों पर संवैधानिक चेतावनी "सिगरेट का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।"
5. प्रौद्योगिकीय पर्यावरण- इसमें वैज्ञानिक एवं नवीनता से जुड़ी वे शक्तियाँ सम्मिलित हैं जो कि वस्तु एवं सेवाओं के उत्पादन के नये तरीके तथा व्यवसाय परिचालन की नयी पद्धतियाँ एवं तकनीक उपलब्ध कराती हैं। उदाहरण के लिए वर्तमान में कम्प्यूटर एवं इलेक्ट्रॉनिक्स में प्रौद्योगिकीय प्रगति ने कंपनियों द्वारा अपने उत्पादों के विज्ञापन के तरीकों को बदल दिया गया है।