अनौपचारिक संगठन का जन्म औपचारिक संगठन से होता है, जब व्यक्ति अधिकारिक तौर पर बतलाई गई भूमिकाओं से परे आपस में मेल-मिलाप से कार्य करते हैं। जब कर्मचारी स्वतंत्रतापूर्वक संपर्क बनाते हैं तो उन्हें किसी कठोर औपचारिक संगठन की ओर नहीं धकेला जा सकता। बल्कि वे मैत्रीपूर्ण व सहयोगपूर्ण विचारों से एक ग्रुप बनाने की ओर झुकते हैं यह अनेक आपसी हितों की अनुरूपता को प्रकट करता है। अनौपचारिक संगठन. के कोई लिखित नियम नहीं होते हैं। इसका कोई क्षेत्र अथवा रूप भी निश्चित नहीं होता है तथा न ही इसकी कोई संप्रेषण की निश्चित रूपरेखा होती है। अनौपचारिक संगठन को यदि भली-भाँति नियंत्रित किया जाए तो औपचारिक संगठन के उद्देश्यों की प्राप्ति में अनौपचारिक संगठन अत्यधिक उपयोगी साबित हो सकता है। अनौपचारिक संगठन औपचारिक संगठन के कर्मचारियों की कार्य संतुष्टि में वृद्धि करता है तथा संगठन में अपनत्व की भावना को जागृत करता है।