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प्रभावी संगठन अधिकार अंतरण के लिए प्रतिनिधिमंडल को क्यों जरूरी माना जाता है?

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एक प्रभावी संगठन के लिए अन्तरण की आवश्यकता 

एक प्रभावी संगठन के लिए अधिकारों के अन्तरण की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है-

1. प्रभावी प्रबन्ध- प्रबन्धकों द्वारा अपने कर्मचारियों को अधिक अधिकार दे दिये जाने पर वे अन्य महत्त्वपूर्ण कार्यों पर अपना अधिक ध्यान दे सकते हैं। इससे उन्हें अपने दैनिक कार्यक्रमों से मुक्ति मिल जाती है। फलतः वे नये क्षेत्रों में अधिक प्रभावी ढंग से कार्य कर सकते हैं।

2. कर्मचारियों का विकास- अधिकार अन्तरण से कर्मचारियों को अपनी प्रतिभा को दिखलाने के अधिक अवसर प्राप्त होते हैं। इससे उनकी प्रतिभा का अधिक विकास होता है। उनकी निपुणता एवं दक्षता विकसित होती है तथा वे जटिल प्रकृति के कार्यों को करने के लिए सक्षम हो जाते हैं। इन सबके परिणामस्वरूप कर्मचारियों का विकास होने लगता है।

3. कर्मचारियों को प्रेरणा- अधिकार अन्तरण कर्मचारियों की प्रतिभा को विकसित करता है। इसके साथ ही जब एक शीर्ष अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारी को कार्य सौंपता है तो वह केवल कार्य का विभाजन ही नहीं करता है वरन् उच्चाधिकारी का अपने अधीनस्थों में विश्वास तथा अधीनस्थ कर्मचारी की अपने उच्च अधिकारी के प्रति वचनबद्धता होती है। उत्तरदायित्व एक कर्मचारी में आत्मविश्वास को बढ़ावा देता है तथा भरोसे में सुधार लाता है और वह अपने आपको प्रोत्साहित महसूस करता है।

4. विकास का सरलीकरण- अधिकार अन्तरण एक संगठन के विकास में उसकी सहायता प्रदान करता है। इसके द्वारा ऊँचे पदों पर नया काम, करने के लिए तुरन्त कार्य बल मिल जाता है। इस प्रकार अधिकार अन्तरण कर्मचारियों के विकास को आसान बनाता है।

5. प्रबन्ध सोपानिकी (पदानुक्रम) का आधार- अधिकार अन्तरण अधिकारी-अधीनस्थ सम्बन्ध बनाता है, जो प्रबन्ध पदानुक्रम का आधार है। यह अधिकार के प्रवाह का क्रम है जो बतलाता है कि किसे किसको सूचना देनी है। जिस सीमा तक अधिकारों का अन्तरण किया जाता है, काम पर संगठन में उसी सीमा तक वे प्रभावी होते हैं।

6. उत्तम सामञ्जस्य- अधिकार अन्तरण के तत्त्व जैसे अधिकार, उत्तरदायित्व, उत्तरदेयता, क्षमता कर्तव्यों और जवाबदेही जो संगठन में विभिन्न स्तरों से सम्बन्धित होते हैं, व्यक्त करने में सहायता करते हैं। इससे कर्त्तव्यों की लीपापोती व पुनरावृत्ति रुकती है; क्योंकि प्रत्येक स्तर पर क्या काम करना है, इसकी स्पष्ट व्याख्या की हुई होती है। इस प्रकार का स्पष्टीकरण विभिन्न विभागों, स्तरों तथा प्रबन्ध के कार्यों में प्रभावी सामञ्जस्य स्थापित करने में सहायता करता है।

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