प्रशिक्षण तथा विकास में अन्तर-
1. अर्थ- प्रशिक्षण का अर्थ कर्मचारियों को किसी विशेष कार्य में निपुण बनाना है, जबकि विकास का अर्थ कर्मचारियों को सभी कार्यों में निपुण बनाना है।
2. सीखने का क्षेत्र- प्रशिक्षण में सीखने का क्षेत्र कम है, जबकि विकास में सीखने का क्षेत्र अधिक होता है।
3. आवश्यकता- प्रशिक्षण की आवश्यकता प्रायः श्रमिक वर्ग एवं पर्यवेक्षीय वर्ग के लिए अधिक होती है, जबकि विकास की आवश्यकता प्रबन्धकीय वर्ग के लिए अधिक होती है।
4. केन्द्रित- प्रशिक्षण कार्य-केन्द्रित है, जबकि विकास व्यक्ति-केन्द्रित है।
5. प्रकृति- प्रशिक्षण की प्रकृति व्यावहारिक ज्ञान में वृद्धि करने की होती है, जबकि विकास की प्रकृति सैद्धान्तिक ज्ञान में वृद्धि करने की होती है।
6. विधियाँ- प्रशिक्षण की मुख्य विधियाँ कार्य पर प्रशिक्षण, नव-सीखुआ प्रशिक्षण तथा संयुक्त प्रशिक्षण हैं, जबकि विकास की मुख्य विधियाँ पद-बदली, पाठ्यक्रम, सम्मेलन व गोष्ठियाँ आदि हैं।
7. उद्देश्य- प्रशिक्षण का उद्देश्य कर्मचारियों को अधिक निपुणता से कार्य करने योग्य बनाना है, जबकि विकास का उद्देश्य कर्मचारियों को वर्तमान कार्य के साथ-साथ भावी कार्यों व समस्याओं से कुशलतापूर्वक निपटने योग्य बनाना है।