किसी वस्तु अथवा सेवा की कीमत निर्धारण को प्रभावित करने वाले कुछ प्रमुख तत्त्व निम्नलिखित हैं-
1. वस्तु की लागत- वस्तु की लागत में वस्तु के उत्पादन, वितरण एवं विक्रय की लागत सम्मिलित होती है। यह वस्तु अथवा सेवा की कीमत के निर्धारण को प्रभावित करने का प्रमुख तत्त्व है। लागत वह न्यूनतम या आधार मूल्य होता है जिस पर वस्तु को बेचा जा सकता है। सामान्यतया सभी विपणन इकाइयाँ अपने उत्पाद की पूरी लागत को अवश्य वसूल करना चाहती हैं अल्प समय में नहीं तो लम्बे समय में। इसके साथ ही वह कुछ लाभ भी कमाना चाहती हैं।
2. उपयोगिता एवं माँग- क्रेता जो मूल्य देना चाहता है उसका निचला स्तर उत्पाद की लागत पर निर्भर करता है जबकि उत्पाद की उपयोगिता एवं मांग की तीव्रता उत्पाद की लागत के ऊपर के स्तर का निर्धारण करती है। क्रेता अधिक से अधिक उतना भुगतान करने को तैयार होगा जितनी कि कम से कम मूल्य के बदले में प्राप्त उत्पाद की उसके लिए उपयोगिता है। उधर विक्रेता उत्पाद की लागत की वसूली करना चाहेगा। यह भी सही है कि उपभोक्ता ऊँची कीमत की तुलना में कम कीमत पर अधिक मात्रा में वस्तुएँ खरीदते हैं। किसी वस्तु का मूल्य उसकी माँग की लोच पर निर्भर करता है। माँग लोचपूर्ण होगी यदि मूल्य में थोड़ा परिवर्तन करने से माँग में परिवर्तन आ जाता है। इस प्रकार वस्तु या सेवा की कीमत निर्धारण को प्रभावित करने वाला एक तत्त्व वस्तु की उपयोगिता एवं उसकी माँग भी है।
3. बाजार में प्रतियोगियों की सीमा- यदि बाजार में प्रतियोगिता कम है तो वस्तु या सेवा का मूल्य ऊँचा होगा और यदि प्रतियोगिता अधिक है तो मूल्य कम होगा। अतः किसी उत्पाद का मूल्य तय करने से पहले प्रतियोगियों के मूल्य एवं उनकी सम्भावित प्रतिक्रिया को ध्यान में रखना आवश्यक होता है। मूल्य निर्धारण से पहले प्रतियोगी उत्पादों का मल्य ही नहीं बल्कि उनकी गुणवत्ता एवं अन्य लक्षणों को भी ध्यान में रखना चाहिए।
4. सरकार एवं कानूनी नियम- वस्तु एवं सेवा की कीमत निर्धारण को निर्धारित करने वाले तत्वों में सरकार एवं कानूनी नियम भी महत्त्वपूर्ण हैं। मूल्य निर्धारण में अनुचित व्यवहार के विरुद्ध जनसाधारण के हितों की रक्षा के लिए, सरकार हस्तक्षेप कर वस्तुओं के मूल्यों का नियमन कर सकती है। इसी प्रकार किसी भी उत्पाद को सरकार आवश्यक वस्तु घोषित कर उसके मूल्य का नियमन कर सकती है।
5. मूल्य निर्धारण का उद्देश्य- मूल्य निर्धारण के उद्देश्य भी वस्तु या सेवा की कीमत निर्धारण को प्रभावित करने वाला प्रमुख तन्त्र है। यदि फर्म फैसला लेती है कि अल्प अवधि में अधिक लाभ कमाया जाये तो यह अपने उत्पादों का अधिकतम मूल्य लेगी। लेकिन यह चाहती है कि दीर्घ अवधि में अधिकतम कुल लाभ प्राप्त किये जायें तो यह प्रति इकाई कम मूल्य रखेगी जिससे कि यह बाजार के बड़े भाग पर कब्जा कर सके तथा बढ़ी हुई बिक्री द्वारा अधिक लाभ कमा सके।
6. विपणन की पद्धतियाँ- मूल्य निर्धारण प्रक्रिया पर विपणन के अन्य घटक, जैसे वितरण प्रणाली, विक्रयकर्ताओं की गुणवत्ता, विज्ञापन की गुणवत्ता एवं कितना विज्ञापन किया गया है, विक्रय संवर्द्धन के कार्य, पैकेजिंग किस प्रकार की है, उत्पाद की अन्य उत्पादों से भिन्नता, उधार की सुविधा एवं ग्राहक सेवा का भी प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए यदि कम्पनी निःशुल्क घर पहुँचाने की सुविधा प्रदान करती है तो इसे मूल्य निर्धारण में कुछ छूट मिल जाती है। इसी प्रकार से उपर्युक्त तत्त्वों में से किसी एक में विशिष्टता प्राप्त करने पर कम्पनी को प्रतियोगिता को ध्यान में रखकर अपने उत्पादों की कीमत निश्चित करने में स्वतन्त्रता मिल जाती है।