प्रबन्ध विज्ञान एवं कला के रूप में है क्योंकि इसके वैज्ञानिक एवं कलात्मक रूपों को अलग नहीं किया जा सकता। विज्ञान के रूप में कारण एवं परिणाम का सम्बन्ध, नियमों का परीक्षण आदि विशेषतायें तथा कला के रूप में व्यावहारिक ज्ञान, निपुणता, रचनात्मक उद्देश्य एवं अभ्यास द्वारा विकास आदि विशेषतायें प्रबन्ध में सम्मिलित होती हैं।