एक प्रबन्धक द्वारा उपलब्ध सभी संसाधनों का उपयोग मितव्ययिता एवं पूर्ण क्षमता के साथ किया जाता है। इससे कार्य करने की कुशलता बढ़ती है। इस कुशलता और मितव्ययिता के द्वारा प्रबन्धक संगठन के संसाधनों, जैसे – मानव, मशीन व माल आदि का कुशलतम उपयोग करने में सफल रहता है।