प्रबन्ध का महत्व – आधुनिक व्यावसायिक जगत में प्रबन्ध के महत्व को निम्नलिखित बिन्दुओं में बताया जा सकता है –
(i) लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक – प्रबन्ध का कार्य संगठन के सामूहिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए व्यक्तिगत प्रयासों को समान दिशा देना है। अतः यह संगठन के सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होता है।
(ii) क्षमता वृद्धि में सहायक – प्रबन्धक का लक्ष्य संगठन की क्रियाओं के श्रेष्ठ नियोजन, संगठन, निदेशन, नियुक्तिकरण एवं नियन्त्रण के द्वारा लागत को कम करके उत्पादकता को बढ़ाना होता है। इससे कर्मचारियों की क्षमता में वृद्धि होती है।
(iii) गतिशील संगठन का निर्माण – सामान्यतया देखने में आता है कि किसी भी संगठन में कार्यरत् लोग परिवर्तन का विरोध करते हैं क्योंकि परिवर्तन होने पर उन्हें परिचित एवं सुरक्षित पर्यावरण से नवीन एवं चुनौतीपूर्ण पर्यावरण में जाना होता है। प्रबन्ध लोगों को इन परिवर्तनों को अपनाने में सहायता करता है जिससे संगठन अपनी प्रतियोगी क्षमता को बनाये रखकर गतिशील बना रहता है।