अपवाद द्वारा प्रबन्ध का अर्थ है कि प्रबन्धकों को सिर्फ उन्हीं स्थितियों व तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए जो निर्धारित किए गए मानकों से महत्वपूर्ण विचलन और अपवाद के रूप में उत्पन्न होते हैं। अपवाद द्वारा प्रबन्ध की तकनीकी का इतिहास काफी पुराना है किन्तु व्यवसाय क्षेत्र में इसकी पहचान 19वीं शताब्दी के अन्त में की गयी थी। अपवाद द्वारा प्रबन्ध के प्रतिपादक वैज्ञानिक प्रबन्ध के जनक फ्रेडरिक विन्सलो टेलर माने जाते हैं। अपवाद द्वारा प्रबन्ध वह तकनीकी है जो यह बताती है कि उन समस्त कार्यों तथा मामलों में उच्च प्रबन्धकों को ध्यान आकृष्ट नहीं किया जाना चाहिए, जो कि नियमित रूप से निर्धारित परिणामों की उपलब्धि दे रहे हैं।
वे कार्य तो अधीनस्थ प्रबन्धकों द्वारा ही कर दिये जाने चाहिए जो कि अपवाद स्वरूप उत्पन्न हो रहे हों। अपवाद द्वारा प्रबन्ध की तकनीक नियन्त्रण को सरल और प्रभावी बनाती है, लेकिन, यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि अपवादों की प्रस्तुति न होने का अर्थ सदैव यह नहीं कि सब कुछ ठीक प्रकार चल रहा है। कई बार, सामान्य नियोजित निष्पादनों में भी रूपान्तरण की आवश्यकता होती है। अपवाद द्वारा प्रबन्ध की समीक्षा इसके लाभ एवं सीमाओं से की जा सकती है।
अपवाद द्वारा प्रबन्ध का महत्व:
अपवाद द्वारा प्रबन्ध को निम्न तथ्यों के माध्यम से समझा जा सकता है –
- इससे प्रबन्धकों के व्यक्तिगत समय की बचत होती है।
- जटिल समस्यायें एवं मामले उच्चाधिकारियों के ध्यान से नहीं बच पाते हैं।
- प्रबन्धकीय क्षेत्र को व्यापकता प्रदान करना आसान हो जाता है।
- उपलब्ध समंक, इतिहास एवं प्रवृत्तियों की जानकारी का पूर्णतम उपयोग सम्भव होता है।
- अधिक योग्य एवं उच्च वेतन वाले व्यक्तियों को उच्च प्रत्याय वाले कार्यों पर लगाया जा सकता है।
- संगठन की कठिन समस्याओं एवं संकटों को शीघ्रता से जानकर अवसर एवं कठिनाइयों के प्रति प्रबन्ध को सावधान किया जा सकता है।
- अनुभव रहित अथवा कम अनुभवी प्रबन्धकों के लिए बिना प्रशिक्षण के भी नवीन कार्यों को सम्पन्न करना आसान हो जाता है।
- व्यवसाय क्रियाओं के समस्त पहलुओं की व्यापक जानकारी तथा संस्था के विभिन्न अंगों के बीच प्रभावी संचार को प्रोत्साहित करती है।
अपवाद द्वारा प्रबन्ध की सीमाएँ:
अपवाद द्वारा प्रबन्ध की निम्नलिखित सीमाएँ हैं –
- अपवाद द्वारा प्रबन्ध की तकनीकी प्रायः अविश्वसनीय समंकों पर आधारित रहती है।
- यह संगठन के व्यक्तिगत विचार को बढ़ाती है।
- यह कागजी कार्यवाही को बढ़ाती है।
- यह प्रणाली अपवादों की प्रस्तुति के अभाव में सब कार्य ठीक प्रकार से हो रहा है, मानकर चलती है। इससे प्रबन्ध को झुठी सूचना प्राप्त होती है।
- यह प्रणाली अनेक घटकों की माप ठीक तरह से नहीं करती है।
- यह व्यावसायिक मामलों में अक्सर एक अस्वाभाविक स्थिरता को मानकर चलती है जबकि ऐसी स्थिरता देखने में नहीं आती है।