(1) बचत करने की योग्यता-बचत करने की योग्यता निम्नलिखित बातों से प्रभावित होती है –
(अ) आर्थिक विकास की अवस्था: यदि देश में नवीन तकनीकों को विकास कर उनका प्रयोग किया जाता है तो व्यापार तथा उद्योग उन्नत अवस्था में होते हैं। उन्नति के साथ-साथ लोगों की आय भी अधिक होती है। आय के साथ बचत भी अधिक होती है।
(ब) अर्थव्यवस्था का स्वरूप: एक विकासशील और उद्योग-प्रधान देश की प्रति व्यक्ति आय अधिक होती है।
(स) प्राकृतिक साधन: यदि देश प्राकृतिक साधनों से सम्पन्न है तो देशवासियों की आय अधिक होगी।
(द) कर प्रणाली: करों का भार प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से जनता पर पड़ता है। यदि कर की राशि अधिक है तो उसको चुकाने के बाद परिवार के पास उपभोग योग्य धन कम बचता है, इससे परिवार की बचत क्षमता भी कम हो जाती है।
(2) बचत करने की इच्छा:
इच्छा कार्य की जननी है। जब व्यक्ति में बचत करने की इच्छा जाग्रत होगी तभी वह बचत करेगा। अगर व्यक्ति में कुछ करने की इच्छा न हो तो योग्यता होते हुए भी वह कुछ नहीं कर पायेगा। इसी तरह आर्थिक योग्यता होते हुए भी वह बचत नहीं कर पायेगा। बचत करने की इच्छा निम्नलिखित बातों से प्रभावित होती है
(अ) दूरदर्शिता: जो लोग दूरदर्शी होते हैं वे भविष्य की योजनाओं और आवश्यकताओं पर शुरू से ही विचार करके चलते हैं और इसीलिए वे अपनी आय का कुछ भाग अपने भविष्य के लिए बचाकर रखते हैं।
(ब) समाज में प्रतिष्ठा: व्यक्ति समाज में प्रतिष्ठा, सफलता, सम्मान पाने की अभिलाषा रखता है। इस दृष्टि से भी उसकी बचत करने की इच्छा प्रबल होती है।
(स) पारिवारिक स्नेह एवं बन्धन: सामान्यत: व्यक्ति परिवार के स्नेह के वशीभूत होकर बचत करता है।
(3) बचत की सुविधाएँ: बचत करने की सुविधाएँ निम्नलिखित बातों से प्रभावित होती हैं –
(अ) देश की आर्थिक स्थिति: देश की आर्थिक व्यवस्था तात्कालिक परिस्थितियों के अनुसार होनी चाहिए। यदि देश सदैव कर्ज में डूबा रहेगा तो जनता अपनी बचत की राशि का विनियोग करने में संकोच करेगी।
(ब) देश की राजनैतिक स्थिति: बचत विनियोग के लिए देश की राजनैतिक स्थिति मजबूत होनी चाहिए जिससे लोगों का सरकार पर विश्वास बना रहे और लोग सरकारी योजनाओं में धन जमा करने के लिए प्रोत्साहित हों।
(स) सुदृढ़ मुद्रा प्रणाली: बचत को प्रोत्साहन देने के लिए सुदृढ़ मुद्रा प्रणाली की आवश्यकता होती है। देश में मद्रा व्यवस्था इस प्रकार की होनी चाहिए जिससे मुद्रा के मूल्य में अधिक उच्चावचन न हो। यदि मुद्रा के मूल्य में स्थिरता नहीं है तो जनता भविष्य के लिए अधिक मुद्रा अपने पास नहीं रखेगी क्योंकि मुद्रा के मूल्य में कमी हो जाने का उसे भय बना रहेगा।