प्रबन्ध समाज का आर्थिक एवं सामाजिक उत्प्रेरक है” अत: प्रबन्ध को समाज में सामाजिक एवं आर्थिक मूल्यों का विकास करने, ग्राहकों के हितों की रक्षा करने, समाज के विभिन्न वर्ग पुरुष महिला, युवा बच्चे, ग्रामीण-शहरी, कामकाजी महिला, पेशेवर गरीब बेरोजगार आदि वर्गों की आकाक्षाओं को पूरा करने एवं भावी चुनौतियों की तैयारी के लिये योजनाएँ, कार्यक्रम रणनीति, प्रशिक्षण, जागरूकता एवं अभियान चलाकर स्वैच्छिक रूप से जिम्मेदारी को वहन करना प्रबन्ध की सामाजिक उत्तरदायित्व की अवधारणा मानी जाती है।