(1) दीर्घकालीन विनियोग (Long Term Investment): दीर्घकालीन विनियोग लम्बी समयावधि के लिए किया जा सकता है तथा इसमें ब्याज दर उच्च होती है। दीर्घकालीन विनियोग के साधनों में राष्ट्रीय बचत पत्र, बैंक का आवर्ती जमा योजना, किसान विकास पत्र, निश्चित अवधि खाता आदि प्रमुख हैं। अल्पकालीन विनियोग की अपेक्षा दीर्घकालीन विनियोग के साधनों का चयन करना कठिन है।
(2) धन की तरलता (Liquidity of Money): धन की तरलता से तात्पर्य है-आवश्यकता होने पर आसानीपूर्वक धन की उपलब्धता अर्थात् धन को ऐसी योजना में विनियोजित करना जिससे बिना किसी त्याग मूल्य के नगद मूल्य में परिवर्तित करना संभव हो, धन की तरलता कहलाता है।
(3) निश्चित अवधि जमा खाता: इसे मियादी जमा खाता भी कहते हैं। इस खाते में धन एक निश्चित समय के लिए जमा किया जाता है। समय की मियाद या अवधि जितनी अधिक होती है उतना ही अधिक ब्याज लाभ प्राप्त होगा। यह ब्याज दर समय-समय पर बदलती रहती है। जमाकर्ता अवधि समाप्त होने पर ही धन निकाल सकता है। यदि जमाकर्ता निश्चित समय से पूर्व अपना धन वापस लेना चाहता है तो उसे ब्याज की हानि उठानी पड़ती है। लेकिन जमाकर्ता अपने जमा धन का 75 प्रतिशत कर्ज के रूप में प्राप्त कर सकता है। धन जमा करते समय जमाकर्ता अपना नामित व्यक्ति नियुक्त करता है। जीवित रहने पर जमाकर्ता स्वयं ही धन की प्राप्ति करता है तथा जमाकर्ता की मृत्यु के पश्चात् नामित व्यक्ति धन प्राप्त कर लेता है।