एक उपभोक्ता सन्तुलन में तब कहलाता है जब वस्तु की दी गई कीमत तथा आय से उसकी सन्तुष्टि अधिकतम हो जाये।
एक मात्र वस्तु के उपभोग के समय यदि उपभोक्ता एक वस्तु को खरीद सकता है या अपनी मौद्रिक आय को अपने पास रख सकता है। गणनावाचक दृष्टिकोण में उपभोक्ता के संतुलन के लिए यह आवश्यक है कि X की सीमान्त उपयोगिता
(MUx), X की बाजार कीमत (Px), के बराबर होगी।
अर्थात् मुद्रा के रूप में सीमान्त उपयोगिता = उत्पाद की कीमत अथवा MUx = Px
यदि X वस्तु से प्राप्त सीमान्त उपयोगिता (MUx), x की कीमत (Px) से अधिक हो तो उपभोक्ता X की अधिक मात्रा खरीद कर अपने कल्याण को अधिक कर सकता है इसी तरह यदि X वस्तु से प्राप्त सीमान्त उपयोगिता (MUx), X की कीमत (Px) से कम हो तो व्यक्ति X वस्तु से अपने कल्याण को अधिकतम करने के लिए X की खरीद की मात्रा को कम कर सकता है। एक वस्तु की दशा में उपयोगिता के गणनावाचक माप के द्वारा वस्तु X की विभिन्न इकाइयों की सीमान्त उपयोगिता को मौद्रिक रूप में मापा जा सकता है। मान लो X की कीमत ₹5 प्रति इकाई है।
उपभोक्ता सन्तुलन (Consumer Equilibrium)
उपरोक्त तालिका दर्शाती है कि Px = ₹5 होने पर उपभोक्ता वस्तु की 3 इकाई खरीदता है। यदि उपभोक्ता 3 से कम इकाइयां खरीदता है, मान लो 2 इकाइयां, तब 2 इकाइयों से प्राप्त सीमान्त उपयोगिता के ₹2 के बराबर होगी और वह ₹5 की कीमत देगा। अब MUx > Px इसलिए वह X की और मात्रा खरीदेगा। यहाँ एक उपभोक्ता उससे अधिक इकाइयाँ नहीं खरीदेगा, क्योंकि यदि वह 4 इकाइयाँ खरीदेगा, तो उसे 5 का भुगतान करना पड़ेगा, जो कि उसकी सीमान्त उपयोगिता (MU) से कम है, जो कि ₹4 के बराबर है। इस प्रकार अपनी उपयोगिता को बढ़ाने के लिए एक उपभोक्ता उतनी ही मात्रा खरीदता है, जहाँ वस्तु की सीमान्त उपयोगिता उसकी कीमत के बराबर होती है।
यदि उपभोक्ता एक से अधिक वस्तुओं का उपभोग करता है तो उपभोक्ता के सन्तुलन की शर्त होगी –
मुद्रा की एक अतिरिक्त इकाई के खर्च करने से प्राप्त उपयोगिता सभी वस्तुओं के लिए समान होगी। यदि उपभोक्ता एक वस्तु पर खर्च करने से अधिक उपयोगिता प्राप्त करता है तो वह अपना कल्याण अधिक करने के लिए उस पर अधिक खर्च करेगा व अन्य वस्तुओं के उपभोग पर तब तक कम करता रहेगा जब तक उपरोक्त शर्त पूरी न हो जाए। उपरोक्त शर्तों के साथ आमदनी के प्रतिबन्ध की शर्त भी उपभोक्ता के सन्तुलन के लिए आवश्यक है –
इस शर्त के अनुसार उपभोक्ता के द्वारा X-वस्तु पर किया गया खर्च अर्थात् X.Px तथा Y वस्तु पर किया गया खर्च Y.Py उपभोक्ता की आय I के बराबर होगा।