अधि - अभिदान (Over Subscription): अनेक बार कम्पनी को जनता में निर्गमित अंशों से अधिक अंशों के लिए आवेदन पत्र प्राप्त हो जाते हैं, जो कि अधि-अभिदान कहलाता है। ऐसा अक्सर कम्पनी की मजबूत/सुदृढ़ वित्तीय स्थिति एवं अच्छे प्रबन्ध के कारण होता है। कम्पनी प्रविवरण में प्रस्तावित अंशों की संख्या से ज्यादा अंश जारी नहीं कर सकती है। अतः अधि-अभिदान की स्थिति में संचालकों के पास इसके व्यवहार के लिए निम्न तीन विकल्प मौजूद हैं
- कुछ आवेदनों को पूर्ण रूप से स्वीकार करके तथा शेष को पूर्ण रूप से मना कर दिया जाता है;
- सभी आवेदकों के अंशों का आबंटन आनुपातिक या समानुपात रूप में किया जा सकता है; तथा
- उपरोक्त दोनों विधियों को संयुक्त रूप से लागू कर सकते हैं, जो कि व्यवहार में सबसे सामान्य विधि है।
लेखा पुस्तकों में लेखा: लेखांकन के दृष्टिकोण से अधि-अभिदान की स्थिति को आवेदन और आबंटन के सम्पूर्ण ढाँचे के अन्दर रखा जाता है। उपर्युक्त तीनों स्थितियों में लेखा निम्न प्रकार किया जाता है।
(1) जब संचालक कुछ आवेदन को पूर्ण रूप से स्वीकार करते हैं तथा अन्य को पूर्ण रूप से रद्द कर देते हैं, तो रद्द आवेदन से प्राप्त राशि को पूर्ण रूप से लौटा दिया जाता है। उदाहरण के लिए, एक कम्पनी ने 20,000 अंशों के लिए आमंत्रण किया तथा 25,000 अंशों के लिए आवेदन प्राप्त किए। संचालकों ने 5,000 अंशों के लिए किए गए आवेदन को बिल्कुल रद्द कर दिया जो कि आवश्यक संख्या से अधिक थे और आवेदन राशि को पूर्ण रूप से वापस कर दिया गया। इस स्थिति में आवेदन और आबंटन पर अग्रांकित रोजनामचा प्रविष्टि की जाएगी।
(2) जब संचालक सभी आवेदकों को आनुपातिक (प्रो-राटा) आबंटन करते हैं इस स्थिति में आवेदन से प्राप्त अधिक राशि की प्राप्ति सामान्यतः देय आबंटन राशि के साथ समायोजित कर दी जाती है। ऐसी स्थिति में यद्यपि अंशों पर देय आबंटन राशि से अधिक राशि की प्राप्ति को या तो वापस कर दिया जाएगा या अग्रिम माँग में जमा कर दिया जाएगा। उदाहरण के लिए, 20,000 अंशों के लिए आमंत्रण किए गए और 25,000 अंशों के लिए आवेदन आने की स्थिति में यह निर्णय लिया गया कि आवेदकों को अंशों का आबंटन 4 :5 के अनुपात में किया जाए। यह प्रो-राटा आबंटन की स्थिति कहलाती है और 5,000 अंशों पर प्राप्त अधिक राशि को 20,000 अंशों पर देय आबंटन की राशि के साथ समायोजित किया जाएगा। इस स्थिति में आवेदन और आंबंटन की रोजनामचा प्रविष्टि निम्नांकित प्रकार होगी:
(3) जब कुछ अंशों पर किए गए आवेदन को रद्द किया जाता है और शेष अंशों के लिए आनुपातिक आबंटन किया जाता है, तो रद्द किए गए आवेदनों की पूर्ण राशि को वापस लौटाया जाता है और जिन आवेदकों को आनुपातिक आबंटन किया गया है, उनसे प्राप्त अधिक राशि को आबंटन राशि देय होने के साथ समायोजित किया जाएगा।
उदाहरण के लिए, एक कम्पनी 10,000 अंशों के आवेदन के लिए आमंत्रण देती है और उसे 15,000 अंशों के लिए आवेदन प्राप्त होते हैं। संचालकों ने 2,500 अंशों के लिए किए गए आवेदनों को रद्द कर दिया और शेष 12,500 अंशों के आवेदकों को 10,000 अंशों का आनुपातिक आबंटन किया गया। इस प्रकार प्रत्येक पाँच अंशों के आवेदन के लिए चार अंशों का आबंटन किया गया। इस स्थिति में 2,500 अंशों के लिए आवेदन को रद्द किया गया और प्राप्त राशि को पूर्ण रूप से लौटा दिया गया, और शेष बचे 2,500 अंशों (12,500 – 10,000) को 10,000 अंशों के लिए देय आबंटन राशि के साथ समायोजित किया जाएगा। इस स्थिति में आवेदन और आबंटन की रोजनामचा प्रविष्टियाँ निम्नांकित प्रकार होंगी।
न्यून अभिदान (Under Subscription): न्यून अभिदान एक ऐसी स्थिति है जब कम्पनी को अभिदान के लिए आमंत्रित किए गए अंशों से कम अंशों पर आवेदन प्राप्त होते हैं । उदाहरण के लिए, एक कम्पनी ने जनता में अभिदान के लिए 3,00,000 अंशों का आमंत्रण दिया लेकिन 2,90,000 अंशों के लिए आवेदन प्राप्त हुए। इस परिस्थिति में केवल 2,90,000 अंशों के लिए आबंटन निश्चित किया जाएगा और सभी प्रविष्टियाँ इसके अनुसार की जाएँगी। न्यून अभिदान की स्थिति में यह निश्चित कर लेना आवश्यक है कि कम्पनी ने न्यूनतम अभिदान (Minimum Subscription) प्राप्त कर लिया हो।