अल्पकालीन तथा दीर्षकालीन उत्पादन फलन में निम्नलिखित अन्तर देखे जा सकते है –
(i) अल्पकालीन उत्पादन फलन परिवर्तनशील अनुपातों के नियम से सम्बन्धित है जबकि दीर्घकालीन उत्पादन फलन पैमाने के प्रतिफल से सम्बन्धित है।
(ii) अल्पकालीन उत्पादन फलन अर्थात् परिवर्तनशील अनुपातों के नियम के अन्तर्गत कुछ साधन स्थिर होते हैं तथा कुछ साधन परिवर्तनशील होते हैं क्योंकि फर्म के पास इतना समय नहीं होता है कि वह सभी साधनों में परिवर्तन कर सके। इसके विपरीत दीर्घकालीन उत्पादन फलन अर्थात् पैमाने के प्रतिफल के अन्तर्गत सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं। क्योंकि फर्म के पास इतना समय होता है कि वह उत्पत्ति के सभी साधनों में परिवर्तन कर सके।
(iii) अल्पकालीन उत्पादन फलन वास्तविक है क्योकि इसे वास्तविक रूप में देखा जा सकता है जबकि दीर्घकालीन उत्पादन फलन अवास्तविक है। वास्तविक रूप में इसे किसी नियम में नहीं देखा जाता है।
(iv) अल्पकालीन उत्पादन फलन में परिवर्तनशील उत्पादन के साधनों की कीमतें स्थिर नहीं रहती हैं जबकि दीर्घकालीन उत्पादन फलन में उत्पादित वस्तु की कीमत तथा साधनों की कीमत को स्थिर माना जाता है।
(v) अल्पकालीन उत्पादन फलन तथा दीर्घकालीन उत्पादन फलन में घटते हुए एवं बढ़ते हुए प्रतिफल की अवस्थाएँ अलग-अलग कारणों से क्रियाशील होती हैं। अल्पकालीन उत्पादन फलन की स्थिति में ये इस कारण क्रियाशील होती है। क्योंकि उत्पत्ति में एक साधन को स्थिर मानकर अन्य साधनों को परिवर्तित किया जाता है जबकि दीर्घकालीन उत्पादन फलन में ये आन्तरिक एवं बाह्य बचतों के कारण व अवयवों के कारण क्रियाशील होती हैं।