(i) माँग तथा पूर्ति वक्रों के एक ही दिशा में खिसकने का प्रभाव – माँग तथा पूर्ति वक्र दोनों एक साथ दायीं एवं बायीं ओर खिसक सकते हैं। यदि दोनों वक्र एक साथ दायीं ओर खिसकते हैं तो सन्तुलन मात्रा में वृद्धि होगी लेकिन सन्तुलन कीमत में वृद्धि हो सकती है अथवा कमी हो सकती है अथवा अपरिवर्तित रह सकती है। यह माँग तथा पूर्ति में वृद्धि के अनुपात पर निर्भर करेगा कि कीमत में परिवर्तन होगा या नहीं। यदि माँग तथा पूर्ति में वृद्धि समान अनुपात में होती है तो सन्तुलन कीमत अपरिवर्तित रहेगी। यदि माँग में परिवर्तन का अनुपात पूर्ति में परिवर्तन के अनुपात से अधिक होगा तो सन्तुलन कीमत में वृद्धि होगी और यदि माँग में परिवर्तन का अनुपात पूर्ति में परिवर्तन के अनुपात से कम होगा तो सन्तुलन कीमत में कमी आयेगी।
अब यदि हम यह मान लें कि माँग तथा पूर्ति दोनों वक्र एक साथ बायीं ओर खिसकते हैं तो इस स्थिति में सन्तुलन मात्रा में कमी आयेगी लेकिन सन्तुलन कीमत में वृद्धि हो सकती है या कमी हो सकती है या अपरिवर्तित रह सकती है।
उपरोक्त दोनों स्थितियों को निम्न चित्र के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है –

रेखाचित्र से स्पष्ट है कि माँग वक्र तथा पूर्ति वक्र दोनों के दायीं ओर शिफ्ट करने पर सन्तुलन कीमत में वृद्धि होकर q1 तक पहुँच गई है जबकि सन्तुलन कीमत में परिवर्तन नहीं हुआ है। इसी प्रकार जब दोनों वक्र बायीं ओर शिफ्ट कर रहे हैं तो सन्तुलन मात्रा में कमी हो रही है तथा सन्तुलन कीमत अपरिवर्तित है।
(ii) जब माँग तथा पूर्ति वक्र विपरीत दिशा में शिफ्ट होते हैं – माँग तथा पूर्ति वक्र दोनों अलग-अलग दिशाओं में खिसक सकते हैं। माना कि माँग वक्र दायीं ओर तथा पूर्ति वक्र बायीं ओर खिसकता है। इस स्थिति में सन्तुलन कीमत में वृद्धि होगी। लेकिन सन्तुलन मात्रा में वृद्धि हो सकती है या कमी हो सकती है या अपरिवर्तित रह सकती है। इसे निम्न चित्र के माध्यम से समझा जा सकता है –

माना कि माँग वक्र बायीं ओर तथा पूर्ति वक्र दायीं ओर खिसकता है। इस स्थिति में सन्तुलन कीमत में कमी होगी लेकिन सन्तुलन मात्रा में वृद्धि हो सकती है या कमी हो सकती है या अपरिवर्तित रह सकती है। इसे निम्न चित्र से स्पष्ट किया जा सकता है –
