मुद्रा ने उत्पादन कार्य को सरल कर दिया है। उत्पत्ति के विभिन्न साधनों को मुद्रा द्वारा ही खरीदा जाता है तथा मुद्रा के आधार पर वस्तु की उत्पादन लागत ज्ञात की जाती है। मुद्रा ने ही श्रम विभाजन एवं विशिष्टीकरण को सम्भव बनाया है। तथा बड़े पैमाने पर उत्पादन भी मुद्रा की ही देन है।