जब मन्दी में न्यून माँग की समस्या उत्पन्न हो जाती है अर्थात् समग्र माँग समग्र पूर्ति से कम होती है। ऐसी परिस्थितियों में सरकार उचित राजकोषीय नीति अपनाती है। सरकार सार्वजनिक व्यय; जैसे – सड़क बनवाना, बाँध निर्माण, स्कूलों व अस्पतालों जैसे भवनों का निर्माण आदि जिससे रोजगार, आय और माँग का सृजन होता है। इसी के साथ करों में कमी उपभोक्ताओं के व्यय योग्य आय में वृद्धि करती है। यह प्रयास तभी कारगार होता है जब सरकार करों में कोई वृद्धि नहीं करती है। मन्दी में राजकोषीय नीति और मौद्रिक नीति में से राजकोषीय नीति अधिक सफल होती है। न्यून माँग के समय व्यवसायियों के पास पहले ही बहुत स्टॉक इकट्ठा होता है जिसे वह बेच नहीं पाते हैं। इसलिए ब्याज दर कम होने पर भी विनियोग हेतु प्रेरित नहीं होते हैं। अत: इस नीति द्वारा सरकार द्वारा कर और व्यय में परिवर्तन द्वारा पूर्ण रोजगार और कीमत स्तर में स्थिरता लाने का प्रयास किया जाता है।