वितरणात्मक न्याय के सम्बन्ध में अरस्तू के विचार – वितरणात्मक न्याय के सम्बन्ध में अरस्तू की धारणा यह है कि पद-प्रतिष्ठा व धन-सम्पदा का वितरण अंकगणितीय अनुपात से नहीं अपितु रेखागणितीय अनुपात में होना चाहिए, अर्थात् इनमें सबको बराबर हिस्सा नहीं मिलना चाहिए बल्कि प्रत्येक को अपनी – अपनी योग्यता के अनुसार हिस्सा मिलना चाहिए।
इस सम्बन्ध में अरस्तू का मत है-
- शक्ति एवं संरक्षण का वितरण व्यक्ति की योग्यता एवं योगदान के अनुरूप हो।
- अरस्तू आनुपातिक समानता का पक्षधर है।
- अरस्तु के अनुसार शासन की बागडोर उन्हीं को सौंपी जानी चाहिए जिनमें शासन करने की योग्यता व क्षमता हो।
- लाभ एवं उत्तरदायित्व व्यक्ति की क्षमता व सामर्थ्य के अनुपात में ही होना चाहिए।