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पूर्ण समानता स्वप्नलोकीय कल्पना है। इस अवधारणा को समानता के अर्थ, आधारभूत लक्षण व प्रकारों की व्याख्या के सन्दर्भ में समझाइए।

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प्राकृतिक रूप से सभी व्यक्ति समान रूप से उत्पन्न होते हैं। मानव निर्मित परिस्थितियाँ व्यक्तियों में असमानता उत्पन्न करती हैं। वस्तुतः समानतो वह परिस्थिति है जिसमें सभी व्यक्तियों को अपने अस्तित्व के विकास हेतु समान अवसर प्राप्त होता है। वस्तुतः समाज में सभी व्यक्तियों को एक समान किया जाना असम्भव है। इसका प्रमुख कारण यह है कि सभी व्यक्तियों की शारीरिक एवं मानसिक योग्यताएँ एक समान नहीं हैं।

लास्की ने लिखा है -“समानता का यह अर्थ नहीं है कि प्रत्येक व्यक्ति के साथ एक जैसा व्यवहार किया जाय या प्रत्येक व्यक्ति को समान वेतन दिया जाय । यदि एक मजदूर का वेतन प्रसिद्ध वैज्ञानिक व गणितज्ञ के बराबर कर दिया जाय। तो इससे समाज का उद्देश्य ही नष्ट हो जायेगा। इसलिए समानता का अर्थ है कि विशेष अधिकार वाले वर्ग न रहें और सबको उन्नति के समान अवसर प्राप्त हों।”

समानता के आधारभूत लक्षण:

समानता के आधारभूत लक्षण निम्न हैं

  1. समान लोगों के साथ समान व्यवहार।
  2. सभी लोगों को विकास के समान अवसर की प्राप्ति।
  3. समाज एवं राज्य द्वारा सबके साथ समान आचारण व व्यवहार करना।
  4. मानवीय गरिमा एवं अधिकारों का समान संरक्षण।
  5. किसी व्यक्ति के साथ जाति, धर्म, भाषा, वर्ग, वर्ण, लिंग, निवास स्थान, सम्पत्ति व राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव न करना।
  6. प्रत्येक व्यक्ति को समाज में समान महत्व देना।

समानता के प्रकार: समानता के विभिन्न प्रकारों को संक्षेप में निम्नलखित प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है

1. नागरिक समानता- नागरिक समानता, नागरिकों के समान नागरिक अधिकारों का समर्थन करती है जिससे नागरिकों में राज्य के प्रति निष्ठा व लगाव पैदा हो।

2. राजनीतिक समानता- राजनीतिक समानता प्रजातन्त्र का आधार है। इसके अन्तर्गत समान मताधिकार, निर्वाचन में खड़े होने की छूट तथा सार्वजनिक पदों को प्राप्त करने का अधिकार सम्मिलित है।

3. सामाजिक समानता- सामाजिक दृष्टि से सबको समान अधिकार मिलना तथा किसी को विशेषाधिकार न मिलना सामाजिक समानता है।

4. प्राकृतिक समानता- इस अवधारणा के प्रतिपादकों की मान्यता है कि प्रकृति सबको समान उत्पन्न करती है। केवल सामाजिक परिस्थितियाँ उनमें भिन्नता लाती हैं।

5. आर्थिक समानता- आर्थिक समानता से तात्पर्य है कि सभी को कार्य करने के समान अवसर उपलब्ध कराये जाएँ। तथा सभी व्यक्तियों की न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति हो। यह अन्य समानताओं का आधार है।

6. सांस्कृतिक समानता- अल्पसंख्यक तथा बहुसंख्यक वर्गों में समानता का व्यवहार सांस्कृतिक समानता है। यह संविधान में मौलिक अधिकार के रूप में प्राप्त है।

7. कानूनी समानता- कानूनी समानता का तात्पर्य है-कानून के समक्ष समानता तथा कानूनों का समान संरक्षण अर्थात् बिना किसी भेदभाव के नागरिकों को कानून के समक्ष समान समझना तथा सभी के लिए समान कानून, समान न्यायालय व एक जैसे गुनाह पर समान दण्ड का प्रावधान।

8. अवसर की समानता- जाति, धर्म, वर्ण, वर्ग, लिंग तथा नस्ल आदि के आधार पर बिना किसी भेदभाव के नागरिकों को समान अवसर प्राप्त होना इसके अन्तर्गत आता है।

9. शिक्षा की समानता-शिक्षा की समानता से आशय बिना किसी भेदभाव के सभी नागरिकों को शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध करवाने से है।

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