आमण्ड और बर्बा ने राजनीतिक समाजीकरण के सम्बन्धों की विस्तृत विवेचना की है। आमण्ड एवं बर्बा के अनुसार-राजनीतिक समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा राजनीतिक संस्कृति को स्थापित किया जाता है और उसमें आवश्यकतानुसार परिवर्तन लाया जाता है। राजनीतिक समाजीकरण द्वारा राजनीतिक संस्कृति के गुणों, विश्वासों तथा मनोवेगों को भावी पीढ़ियों तक पहुँचाया जाता है।
इस प्रक्रिया में परिवार, मित्र-मण्डली, शिक्षण व धार्मिक संस्थान, लोकसंचार के साधन, हित समूह, राजनीतिक दल आदि महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राजनीतिक समाजीकरण के माध्यम से समाज अपने राजनीतिक मानकों, मान्यताओं और विश्वासों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक संचारित करता है।
यह आवश्यक नहीं है कि इस प्रक्रिया द्वारा सभी व्यक्ति बने बनाये ढांचे में ढल जाएँ, परन्तु इससे राजनीतिक जीवन में निरन्तरता जरूर बनी रहती है। इसके साथ ही राजनीतिक प्रणाली नये दबावों और तनावों को झेलने की सहनशक्ति विकसित कर लेती है। राजनीतिक समाजीकरण राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देता है। यदि किसी देश की राजनीतिक संस्कृति कई उप-संस्कृतियों में बँटी होती है तो राजनीतिक समाजीकरण की प्रक्रिया को राष्ट्र निर्माण की आवश्यकताओं के अनुरूप ढालना अनिवार्य हो जाता है।