गुप्तकाले प्राचीन भारतीय इतिहास का स्वर्णकाल था। यह युग शांति एवं सुव्यवस्था का काल था। इस काल के पराक्रमी शासकों ने सम्पूर्ण भारत में राजनीतिक एकता का सूत्रपात किया। इस वंश के सम्बन्ध में हमें सर्वाधिक पुष्ट एवं प्रामाणिक जानकारी प्रयाग प्रशस्ति एवं स्कन्दगुप्त के विभिन्न अभिलेखों एवं रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख से प्राप्त होती है।
इस काल के प्रमुख शासकों का वर्णन निम्नलिखित है
1. श्रीगुप्त – अभिलेखों के आधार पर गुप्त वंश का संस्थापक श्रीगुप्त था। इसका शासन काल 240 ई० से 280 ई० तक रहा। श्रीगुप्त ने महाराज की उपाधि धारण की।
2. घटोत्कच – लगभग 280 ई० में श्रीगुप्त ने अपने पुत्र घटोत्कच को अपना उत्तराधिकारी बनाया। इसने 319 ई० तक गुप्त वंश पर शासन किया।
3. चन्द्रगुप्त प्रथम – घटोत्कच के पश्चात् उसका पुत्र चन्द्रगुप्त प्रथम 319 ई० में शासक बना। वह गुप्त वंश का प्रथम स्वतंत्र शासक था, जिसने महाराजाधिराज की पदवी धारण की थी। उसने 319 ई० में एक संवत चलाया जिसे गुप्त संवत कहा जाता है। इसके शासनकाल की महत्वपूर्ण घटना यह थी कि इसने लिच्छिवि राजकुमारी कुमार देवी से विवाह किया था। चन्द्रगुप्त प्रथम ने 335 ई० तक शासन किया।
समुद्रगुप्त:
चन्द्रगुप्त प्रथम के पश्चात् उसके प्रतिभा सम्पन्न पुत्र समुद्रगुप्त ने 335 ई० से 375 ई० तक गुप्त वंश की बागडोर को संभाला। समुद्रगुप्त स्वयं एक महान योद्धा एवं कुशल सेनापति था। अपने विजय अभियानों द्वारा उसने सम्पूर्ण उत्तरी एवं दक्षिणी भारत पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया। उसके साम्राज्य विस्तार में कश्मीर, पश्चिमी पंजाब, पश्चिमी राजपूताना, सिंध और गुजरात के अतिरिक्त शेष सारा भारत सम्मिलित था। उसकी दिग्विजय का वर्णन हरिषेण रचित प्रयाग प्रशस्ति में मिलता है।
चन्द्रगुप्त द्वितीय:
समुद्रगुप्त के पश्चात् 375 ई० से 414 ई० तक चन्द्रगुप्त द्वितीय ने गुप्त वंश पर शासन किया। इसने गुप्त साम्राज्य को अरब सागर तक बढ़ाया और सौराष्ट्र प्रायद्वीप को विजित किया। इसके शासनकाल में चीनी यात्री फाहयान भारत आया।
कुमारगुप्त प्रथम:
415 ई० से 455 ई० तक गुप्त वंश पर कुमारगुप्त प्रथम ने शासन किया उसने बड़ी संख्या में मुद्राएँ जारी करवाईं। अह नालन्दा विश्वविद्यालय का संस्थापक भी था।
स्कन्दगुप्त:
कुमारगुप्त के पश्चात् उसको पुत्र स्कन्दगुप्त मगध के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुआ। उसने 455 ई० से 467 ई० तक शासन किया। इसने बाह्य शत्रुओं व हूणों आदि को परास्त कर गुप्त साम्राज्य की रक्षा की तथा सौराष्ट्र में जूनागढ़ स्थित सुदर्शन झील का पुनरुद्धार कराया। स्कन्दगुप्त के पश्चात् पुरुगुप्त, नरसिंहगुप्त, कुमारगुप्त द्वितीय, बुद्ध गुप्त, बालादित्य द्वितीय, कुमारगुप्त तृतीय और विष्णुगुप्त ने शासन किया लेकिन धीरे – धीरे उनका राज्य सीमित होता गया और बंगाल के गौड़ों के अधिकार में आ गया।