कनिष्क प्राचीन भारत के महानतम शासकों में से एक था। वह एक महान योद्धा साम्राज्य निर्माता, कलाकारों तथा विद्वानों का आश्रयदाता था। उसका दरबार सम्राट विक्रमादित्य के समान विद्वानों से अलंकृत था। उसके काल में साहित्य की विविध विधाओं का सर्वांगीण विकास हुआ। अश्वघोष, भास और शुद्रक साहित्य विधा के महान साहित्यकार थे। संस्कृत भाषा और उसकी उन्नति के साथ ही पाली व प्राकृत भाषा में भी इस युग में उत्कृष्ट रचनाएँ लिखी गईं।
बौद्ध सम्प्रदाय की प्रगति के फलस्वरूप दिव्यावदान जैसे ग्रन्थ की रचना भी इसी काल में हुई। चरक और सुश्रुत इस काल के महान चिकित्सक एवं आयुर्वेदाचार्य थे। नागार्जुन जिसने सापेक्षवाद का सिद्धान्त प्रतिपादित किया, कनिष्क के काल का प्रसिद्ध वैज्ञानिक था। इस युग में भारतीय ज्योतिष में नवीन सिद्धान्तों की स्थापना हुई और खगोल विद्या की वैज्ञानिक प्रामाणिकता बढ़ी।