अजीत सिंह को लेकर मारवाड़ के सरदार जोधपुर पहुँचे किन्तु जोधपुर पर शाही अधिकार ले जाने के कारण वे अजीत सिंह की सुरक्षा को लेकर चिन्तित थे। महाराजा जसवन्त सिंह की सबसे बड़ी रानी जसवन्त दे बूंदी के राव छत्रसाल की पुत्री थी। उसकी सौतेली बहन काननकुमारी का विवाह महाराणा राजसिंह के साथ हुआ था। इस कारण दुर्गादास ने काननकुमारी के माध्यम से उनके बहनोई महाराणा राजसिंह के पास अजीत सिंह को सुरक्षा देने की प्रार्थना की। पूरे मामले में मेवाड़ की सुरक्षा भी जुड़ी हुई थी। इस कारण राजसिंह ने प्रार्थना को स्वीकार करते हुए अजीतसिंह को बारह गाँवों सहित केलवे का पट्टा दे दिया। औरंगजेब को जब इसकी जानकारी मिली तो उसने महाराणा के पास फरमान भेज कर अजीत सिंह की माँग की किन्तु महाराणा ने इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया।